ट्रेन का माइलेज कितना होता है? जानिए एक किलोमीटर चलने पर कितना तेल खाती है ट्रेन, जानकर नहीं होगा यकीन

यदि लंबी दूरी का सफर करना है तो ट्रेन सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। इसके अलावा ट्रेन में ज्यादा दूरी सफर करने से किराया भी कम लगता है। भारत में लंबी दूरी के लिए ट्रेन एक सुरक्षित साधन भी माना जाता है।

Indian Railway

साल 1853 में जब मुंबई से थाने के लिए पहली ट्रेन चली थी तो इससे दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी भी बढ़ गई। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि पहले ट्रेन भाप के इंजन से चलती थी। जिसका आविष्कार जेम्स वाट के द्वारा किया गया था। लेकिन फिर डीजल से ट्रेन चलने लगा। लेकिन अभी वर्तमान में इलेक्ट्रिसिटी से ट्रेन रन कर रहा है।

भारतीय रेल के डीजल की टंकी 5000 लीटर से लेकर के 6000 लीटर तक की होती है। इंडियन रेलवे के इंजन की जो टंकी होती है, वह टंकी माइलेज के हिसाब से तीन भागों में विभाजित किया जाता है –

  1. 5000 लीटर
  2. 5500 लीटर
  3. 6000 लीटर।

पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन में माइलेज का अंतर

12 डिब्बों वाली पैसेंजर ट्रेन 1 किलोमीटर चलने में 6 लीटर तेल कंज्यूम करती है। वहीं 24 डिब्बे वाली एक्सप्रेस ट्रेन 1 किलोमीटर चलने में 6 लीटर तेल कंज्यूम करती है। अगर उसी 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन को 1 किलोमीटर चलना हो तो वह 4.5 लीटर तेल कंज्यूम करती है।

पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन के माइलेज का इतना अंतर क्यों है?

पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन के बीच माइलेज का अंतर इसलिए है, क्योंकि पैसेंजर ट्रेन का स्टाफ ज्यादा होता है। जब स्टाफ ज्यादा होगा तो ट्रेन को रुकना पड़ेगा, इससे पैसेंजर ट्रेन में ब्रेक और एक्सीलेटर का उपयोग ज्यादा होता है। इसकी वजह से ईंधन की खपत बढ़ जाएगी।

अगर एक्सप्रेस ट्रेन की बात करें तो इसके स्टाफ पैसेंजर ट्रेन की तुलना में कम होते हैं, जिसकी वजह से बार-बार एक्सीलेटर और ब्रेक का उपयोग नहीं करना पड़ता है और इससे ईंधन की खपत भी कम होती है। यही कारण है कि पैसेंजर ट्रेन ज्यादा डीजल खपत करती है।

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!