हमारे वेदों पुराणों एवम ग्रंथों में ब्रह्म मुहूर्त को बेहद ही शुभ माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। इस समय सोना शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
ब्रह्म मुहूर्त में दिनचर्या शुरू करने से पूरा दिन अच्छा जाता है। इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा होती हैं और इस वक़्त किया गया कोई भी कार्य सफल होता है। आइये जानते हैं क्यों माना जाता है ब्रह्म मुहूर्त को इतना खास और इसका सही समय क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त किसे कहते है?
ब्रह्म मुहूर्त रात्रि के आखिरी पहर को कहते हैं अर्थात जब रात्रि समाप्त होने वाली होती है और भोर दिन शुरू होने वाला होता है। ब्रह्म का अर्थ होता है परमात्मा और मुहूर्त का अर्थ होता है समय, यानी कि परमात्मा का समय। रात्रि के अंतिम पहर के बाद और सूर्योदय से ठीक पहले का जो समय होता है, उसे ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। इसका समय भोर के 4 बजे से लेकर 5.30 बजे तक होता है।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्व
शास्त्रों के अनुसार नींद का त्याग करने का यह सबसे अच्छा समय है। पौराणिक काल में जो ऋषि मुनि हुआ करते थे वे ध्यान लगाने के लिए इसी समय को सही मानते थे। इस समय की गई ईश्वर की पूजा का फल शीघ्र मिलता है। मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं। पुराणों के अनुसार इस समय की निद्रा ब्रह्म मुहूर्त के पुण्यों को नाश करने वाली होती है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय देवता और पितर हमारे घरों में आते हैं, जिससे हमारे घर की उन्नति होती है। इस समय पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा भरी रहती है औऱ यह ऊर्जा हमारे अंदर की ऊर्जा से मिलती है, तो हमारे मन मे अच्छे विचार आते हैं और उमंग और उत्साह का संचार होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से शरीर में शारीरिक ताकत और सहनशक्ति का निर्माण होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस समय उठकर सैर करने से संजीवनी शक्ति युक्त शुद्ध प्राण वायु का सेवन और स्पर्श हमारे अंदर नई शक्ति का संचार करती है। इस समय उठने से मानसिक तनाव, चिंता, अनिद्रा और निराशा जैसी मानसिक बीमारियां दूर होती है। इस समय उठने वाले व्यक्ति जीवन में ज्यादा सफल होते हैं।