अब जल्द मिलेगी कैंसर जैसी बीमारी से छुटकारा, मात्र 100 रुपये की ये टैबलेट बचाएगी जान

जिन लोगों को लगता है कि कैंसर एक लाइलाज बीमारी है उनके लिए ये खबर होश उड़ाने वाली हो सकती है। हम सभी जानते हैं कि कैंसर जैसी बीमारी दुनिया में बहुत से लोगों को प्रभावित करती है और इसी वजह से बहुत से लोगों की मौत भी हो जाती है।

Cancer Tablet

लेकिन टाटा मेमोरियल सेंटर में हुए एक शोध में ये दावा किया जा रहा है कि उन्होंने कैंसर की संभावित दवा ढूंढ निकाली है, जो न सिर्फ शरीर में कैंसर सेल्स को फिर से बढ़ने से रोकेगी बल्कि कीमत में भी काफी किफायती है। आईए जानते हैं पूरी डिटेल

क्यों होता है दोबारा कैंसर

टाटा मेमोरियल अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर संजय डॉक्टर राजेंद्र बडवे शामिल थे चूहों पर होने वाले इस शोध में। उनके अनुसार शोध के लिए चूहो में मानव कैंसर सेल्स इंसर्ट की गई थी, जिससे उनमें ट्यूमर बना। विकिरण चिकित्सा, सर्जरी और कीमोथेरेपी के साथ उनका इलाज किया गया और फिर ये पाया क्या कि जब कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं तो वो छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं, इन टुकड़ों को क्रोमैटिन कण कहा जाता है, ये कण रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी जा सकते हैं और कैंसर खत्म होने के बाद भी दोबारा वापस आ सकता है। 

नष्ट कोशिकाओं से बनते हैं नए ट्यूमर

टाटा मेमोरियल सेंटर में हुए शोध में ये पाया गया कि मरने वाली कैंसर कोशिकाएं कोशिका-मुक्त क्रोमैटिन कण छोड़ती हैं, और इन कणों में इतनी क्षमता होती है कि ये स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल सकते हैं। कुछ कण हेल्दी क्रोमोजोम्स के साथ जुड़कर ट्यूमर का कारण भी बन सकते हैं। 

शोधकर्ताओं का दावा

टाटा मेमोरियल सेंटर में शोध कर रहे शोधकर्ताओं में से एक है डॉक्टर बडवे जिनका कहना है कि इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए डॉक्टर ने चूहों को कॉपर(R+CU) और रेस्वेरोट्रॉल के साथ प्रो-आक्सीडेंट की गोलियां दी। R+CU से ऑक्सीजन रेडिकल उत्पन्न होते हैं, जो क्रोमैटिन के कणों का विनाश करते हैं, जो रक्त परिसंचरण में प्रवेश करने के लिए जल्दी से अवशोषित कर लिए जाते हैं। शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया कि कॉपर(R+CU) कीमोथेरेपी की पॉइजनिंग को कम करता है। 

माचिस ₹100 की टेबलेट और दोबारा नहीं होगा कैंसर

डॉ बडवे के अनुसार ₹100 में अब कैंसर दोबारा लौटने की संभावना बहुत कम रहेगी। अब तक का ये सबसे सस्ता इलाज हो सकेगा। कीमोथेरेपी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को इस टैबलेट से 50% तक कम किया जा सकेगा और 30% चांसेस बढ़ जाएंगे कि दोबारा उस मरीज को कैंसर ना हो। इस टैबलेट के लिए अब इंतजार है फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी से मंजूरी मिलने की। ये जितने भी परिणाम निकले वो टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) में हुए शोध के आधार पर कहे जा रहे हैं। 

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