अमरनाथ धाम करोड़ों शिवभक्तों की आस्था का चरम केन्द्र है। प्रति वर्ष लाखों की संख्या में भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अनेक दुर्गम रास्तों व बाधाओं को पार करते हुए यहां पहुंचते हैं। इस वर्ष भी अभी तक मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन 4.4 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं।
आज हम आपको इस पावन यात्रा से जुड़े एक ऐसे मिथक के बारे में बताएंगे जो एक झूठ है और प्राचीन काल से ही इस यात्रा के विषय में प्रचारित किया जाता रहा है। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में ऐसा कहा जाता था कि अमरनाथ गुफा की खोज करने वाला बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम गड़रिया था जिसने 1850 में अमरनाथ गुफा की जानकारी दी थी।
लेकिन इतिहास के पन्नों को खंगालने पर यह कहानी झूठी साबित होती है। आज हम आपको पौराणिक साक्ष्य के आधार पर अमरनाथ यात्रा के वास्तविक इतिहास को बताने जा रहे हैं जिसे जानने की बाद मुस्लिम गड़रिया की कहानी का झूठ उजागर हो जाएगा।
बाबा बर्फानी के हिमलिंग के प्रामाणिक तथ्य
- 5वीं शताब्दी के लिंग पुराण में उल्लेख।
- 12वीं शताब्दी में कश्मीर पर लिखे गए ग्रंथ राज तरंगणि में उल्लेख।
- 16वीं शताब्दी में लिखित आईने अकबरी में उल्लेख।
- 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर द्वारा लिखित पुस्तक में उल्लेख।
- 1842 में ब्रिटिश यात्री GT Vegne द्वारा लिखित किताब में उल्लेख।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उपर्युक्त पुस्तकों में अमरनाथ यात्रा व भगवान सदाशिव के हिमलिंग का विस्तार से वर्णन किया गया है। लिंग पुराण का 12वां अध्याय, पेज नंबर 487 पर 151वां श्लोक अमरनाथ यात्रा के साक्ष्य को प्रमाणित करता है।
मध्यमेश्वरमित्युक्तं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम।
अमरेश्वरं च वरदं देवै: पूर्व प्रतिष्ठितम।।
उपर्युक्त श्लोक में अमरेश्वर का तात्पर्य अमरनाथ में स्थित बाबा बर्फानी से है। 12वीं शताब्दी के इतिहासकार कल्हण राजतरंगिणी ग्रंथ में एक श्लोक है –
दुग्धाव्धिवलं तेन सरो दूरगिरि कृतमं।
अमरेश्वरयात्रायां जनरद्यापि दृश्यते।।
उपर्युक्त श्लोक में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख दिख रहा है। इस साक्ष्य से ही समझ सकते हैं कि 1850 की खोज का दावा कितना खोखला है। आईने अकबरी के द्वितीय खंड के पेज नंबर 360 पर स्पष्ट उल्लेख है कि एक गुफा में बर्फ की आकृति है जिसे अमरनाथ कहते हैं। औरंगजेब के शासनकाल के फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर ने अपनी पुस्तक Travel in the Mogul Empire के पेज नंबर 418 पर अमरनाथ यात्रा और भगवान सदाशिव के शिवलिंग के साथ हिंदू मान्यताओं का उल्लेख किया है।
आपकी जानकारी के लिए यह बताना आवश्यक है कि 1850 के मिथ्या दावे के तहत सन 2000 तक बूटा मलिक के परिवार के लोग ही अमरनाथ गुफा का रखरखाव करते थे व चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा ले लेते थे। सन् 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के गठन के बाद अमरनाथ श्राइन बोर्ड का गठन हुआ तथा बूटा मलिक के वंशजों को अमरनाथ गुफा से अलग किया गया। इस प्रकार उन्हें चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा भी मिलना समाप्त हुआ।