Supreme Court Decision: जब तक एक आदमी और एक औरत शादी के बंधन में नहीं बंध जाते हैं तब तक उन्हें समाज में पति-पत्नी का दर्जा नहीं दिया जाता है ।लेकिन अब ऐसा नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को लेकर एक बहुत ही अहम फैसला सुनाया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने ऐसे मामलों को लेकर एक बेंच बैठाई थी ।जिसमें इन्हीं से जुड़े कई मामलों पर ढेर सारे सवाल भी उभर के सामने आए थे ।जिनमें से एक सवाल यह भी सामने निकल कर आया था कि क्या जो भी जोड़े लिव इन रिलेशन में हो या जो एक साथ एक ही छत के नीचे बहुत समय से रह रहे हो उन्हें हस्बैंड वाइफ का दर्जा दिया जाएगा या नहीं?
या लिव इन रिलेशन में रहने वालों का यदि बच्चा हो जाए तो उस बच्चे का संपत्ति पर कितना अधिकार होगा? इन सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है कि जो कपल काफी लंबे समय से एक साथ लिव इन रिलेशन में रहते हैं व उसे दौरान उनका कोई बच्चा होता है तो उस (नाजायज )बच्चों को भी परिवार की संपत्ति में पूरा-पूरा अधिकार दिया जाएगा।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह तक कह दिया है कि जो कपल काफी लंबे समय से एक साथ लिव इन में रह रहे हैं व हस्बैंड वाइफ की तरह ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो ऐसे जोड़ों को शादीशुदा ही समझ जाएगा।अगर समाज में ऐसे कपल्स के बारे में कोई तुच्छ आरोप लगाता है या उनकी शादी को मानने से इनकार करता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को सबूत देना होगा कि वह कपल शादीशुदा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों में सुनवाई कर चुके हैं
चलिए बताते हैं इससे पहले कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था। इन्हीं मामलों से जुड़े 15 जून 2019, को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बताया था कि यदि कोई औरत और आदमी बहुत लंबे समय से एक साथ में रह रहे हो तो ऐसे जोड़ों को शादीशुदा करार किया जाएगा ।पत्नी पति से घर खर्ची के लिए पैसे से भी मांग सकती है। हाई कोर्ट ने साफ-साफ शब्दों में यह बयान दिया था कि इस व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। केवल इतना ही नहीं कानून के मुताबिक आईपीसी की धारा 125 के हिसाब से पत्नी अपने पति से गुजारी भत्ता के लिए पूर्ण रूप से दावा भी कर सकती है।