भारतीय सिनेमा में जब भी किसी हसीन, संजीदा, प्रतिभाशाली और सफल अभिनेत्री का जिक्र चलता है तो दिग्गज अदाकारा रेखा का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। रेखा को सदाबहार अभिनेत्री के रुप में जाना जाता है। मौजूदा समय में फिल्मों से दूर बेहद शांत जिंदगी बिता रही रेखा एक हिन्दी सिनेमा की सबसे व्यस्त और मंहगी अभिनेत्री रही थी।

देश दुनिया में उनके ऐसे फैंस मौजूद थे जो उनके लिए जान भी दे सकते थे। रेखा (Rekha) के लिए फैंस की दीवानगी कितनी थी, कि उसका अंदाजा तब चलता था जब किसी फिल्म की शूटिंग होती थी या फिर रेखा किसी शहर में यात्रा पर होती थी। फिल्म की शूटिंग से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं जो रेखा के प्रति फैंस की दीवानगी का सबूत भी है।
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान हुआ था बवाल
रेखा (Rekha) अपनी फिल्मों की शूंटिंग के सिलसिले में देशभर में घूमती रहती थी। साल 1981 में उनकी फिल्म आई थी उमरान जान, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। लेकिन इस फिल्म से जुड़ी जो कहानी हम आपको बताने जा रहे वो इस फिल्म में रेखा के सह अभिनेता फारुख शेख ने साझा की थी।
फारुख शेख ने बताया था कि, ‘उमराव जान की शूटिंग मलीहाबाद में हो रही थी। स्थानिय लोगों को जब पता चला कि रेखा यहां आने वाली हैं और कोई रोमांटिक सीन शूट होने वाली है फिर सैकड़ों की संख्या में वहां भीड़ इकट्ठी हो गई। क्योंकि उस समय सब रेखा को देखना चाहते थे, लेकिन ये संभव नहीं था। जब हमारी टीम के लोगों ने स्थानिय लोगों को मना किया तो बात बिगड़ गई। उसके बाद फैंस कुछ ही देर में उनके दुश्मन बन बैठे, किसी तरह जैसे तैसे उन्हें समझा बुझाकर शांत कराया गया और फिर हम शूटिंग पूरी कर वहां से निकल गए।’
सुपरहिट रही थी फिल्म
मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित उमराव जान (Umrao Jaan) एक संगीत प्रधान फिल्म थी और 1981 की सर्वाधिक सफल फिल्म थी। इस फिल्म में रेखा और फारुख शेख की जोड़ी ने अपनी अदाकारी से फैंस का दिल जीत लिया था। इस फिल्म के लिए रेखा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। इसके साथ ही फिल्म ने 3 अन्य श्रेणी में भी राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।
Rekha के फिल्मी करियर पर नजर
69 साल की हो चुकी रेखा ने अपना फिल्मी सफर मात्र 14 साल की उम्र में शुरु कर दिया था। 1958 से हिन्दी सिनेमा में सक्रिय रेखा ने 180 से अधिक फिल्मों में काम किया है। उन्हें उनके बेहतरीन अभिनय के लिए एक राष्ट्रीय और 4 फिल्म फेयर पुरस्कार दिए जा चुके हैं। इसके अलावा वो पद्मश्री से भी सम्मानित हैं। उनकी श्रेष्ठ फिल्मों में उमराव जान, खूबसूरत, मुकद्दर का सिकंदर, खून भरी मांग, नमक हराम, सिलसिला, फूल बने अंगारे, सुहाग, मिस्टर नटवर लाल, कोई मिल गया शामिल है।