सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कर्मचारियों को उनके गुजारा भत्ते के रूप में पेंशन दी जाती है ताकि रिटायरमेंट के बाद उनका शेष जीवन बिना दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर हुए व्यतीत हो सके। पर इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने पेंशन नियमों में कुछ संशोधन किए हैं। सरकार की यह अधिसूचना एक गजट के माध्यम से अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह- सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 में संशोधन के तहत जारी की गई है। यह सूचना कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी की गई है।
सरकार के पेंशन संबंधी संशोधन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि यदि रिटायर्ड कर्मचारी के ऊपर किसी भी प्रकार का आरोप सिद्ध होता है तो केंद्र सरकार अधिकृत रूप से एक निश्चित या अनिश्चित अवधि के लिए उसकी पेंशन पर रोक लगा सकती है। सरकारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे कर्मचारी जिन्होंने पहले किसी खुफिया सुरक्षा संगठन में काम किया है, वह रिटायर होने के बाद उस संगठन के चीफ की अनुमति के बिना संगठन से संबंधित कोई भी जानकारी किसी को भी साझा नहीं करेंगे।
सेवानिवृत्त के समय कर्मचारियों को देना होगा शपथ पत्र
सरकारी सेवा से निवृत्त हुए कर्मचारियों को सरकार को लिखित रूप से एक शपथ पत्र देना होगा जिसमें यह घोषणा करनी होगी कि वह सेवानिवृत्त के बाद ऐसी किसी गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेगा जो देश की सुरक्षा व संप्रभुता के लिए खतरा हो साथ ही संबंधित संगठन के प्रमुख की अनुमति के बिना कोई जानकारी अन्यत्र प्रकाशित नहीं करेगा।
6 जुलाई से लागू हुआ सरकारी आदेश
केंद्र सरकार का पेशन संशोधन संबंधी यह आदेश 6 जुलाई से लागू हो गया है। सरकार के आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ऐसा व्यक्ति जो पेंशनर की मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन प्राप्त कर रहा है, यदि उसके ऊपर उस कर्मचारी की हत्या या हत्या में लिप्त होने का आरोप है तो उसके विरुद्ध जांच चलने की प्रक्रिया तक पारिवारिक पेंशन का भुगतान रोक दिया जाएगा।
जांच की अवधि में पारिवारिक पेंशन उसके स्थान पर घर के किसी अन्य सदस्य को दी जा सकती है। सरकार के संशोधन आदेश में कहा गया है कि यदि सरकारी कर्मचारी की पति अथवा पत्नी पर उसकी हत्या का आरोप है और इसके अलावा परिवार का दूसरा सदस्य नाबालिक है तो ऐसे में फैमिली पेंशन कानूनी रूप से नियुक्त अभिभावक के माध्यम से बच्चे को देय होगी।