“काले है तो क्या हुआ दिलवाले हैं” यह गाना नक्सलवाद की भावना पर करारा प्रहार करता है। इस गाने के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि हमें काले व्यक्तियों से घृणा नहीं करना चाहिए। अगर हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो काले रंग को अपने जीवन से दूर करना है। काला रंग प्रलय का प्रतीक होता है। जो यह इंगित करता है कि आपके जीवन में अचानक कोई न कोई ऐसी घटना घट जाए जिससे आप बहुत प्रभावित हो जाए और जब आप पीछे मुड़ कर देखें कि क्या हुआ तो आपको प्रश्न के उत्तर में यही मिलता है कि काला रंग तमस के गुणों को दर्शाता है।

काले रंग को हमें अपने जीवन से निकाल देना है। अथर्ववेद में काले रंग को लेकर यह संदेश दिया गया है कि इस रंग को जादू टोना और भूत प्रेत करने के लिए उपयोग किया जाता है। तो चलिए अब हम जानते हैं कि काले रंग का इस्तेमाल हमें क्यों नहीं करना चाहिए।
काले रंग का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
भगवान शिव जब अपने रौद्र रूप में आकर शिव तांडव करते हैं तब पृथ्वी पर विनाश होने लगता है, अर्थात पृथ्वी की उत्पत्ति और विनाश के समय जो बीच का समय होता है वह समय अंधेरी रात का होता है और हम सब जानते हैं कि रात का रंग कला होता है। इसलिए यदि जीवन में सब कुशल मंगल रहे तो काले रंग का उपयोग नहीं करना चाहिए।
माता काली जो भगवान शिव की शक्तिरूपा है। उनके शरीर का रंग भी काला है लेकिन उनकी पूजा अर्चना करते वक्त उनको भक्त लाल कपड़े और लाल फूल चढ़ाते हैं। अब आप ही सोचिए जिन माता काली का वर्ण काला है उनको भी काले रंग का कोई भी चीज नहीं चढ़ाया जाता है, इससे साफ है कि काला अशुभ संकेत को दर्शाता है।
मंगलकारी जीवन के लिए काला नहीं अपितु नीला रंग है शुभ का प्रतीक
मंगलकारी जीवन जीने के लिए काला नहीं अपितु नीला रंग का उपयोग करें। नीला रंग भगवान विष्णु का रंग है। भगवान विष्णु सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण से परे हैं वह निर्विकार हैं। इसीलिए हम सबको नीले रंग का उपयोग करना चाहिए। इतना ही नहीं देवताओं में प्रथम पूजनीय गौरी नंदन गणेश का शरीर भी नीले रंग का है जो सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है। काला रंग जो काले साम्राज्य को प्रदर्शित करता है जैसे – काला धन, काली रातें और काली गुफा, यह सब नकारात्मक ऊर्जा के काफी नजदीक हैं। इनकी कल्पना से कुछ व्यक्ति खौफ खाते हैं इसलिए हमें काले रंग से दूर रहना चाहिए और जीवन में नीले रंग को अपनाना चाहिए।