Supreme Court Decision: क्या बिना शादी के पैदा हुए बच्चे को संपत्ति में अधिकार मिलेगा? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Supreme Court Decision: कई बार ऐसा होता है कि बिना शादी के लोगों के बच्चे हो जाते हैं। अब बिना शादी के बच्चे का प्रॉपर्टी पर कोई हिस्सा होता है या उसे उससे दूर रखा जाता है। इसपर शायद ही आपने कोई कानून सुना या समझा हो। लेकिन अब इस पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि अमान्य और शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा।

Supreme Court Decision

सुप्रीम कोर्ट ने नई व्यवस्था देते हुए कहा कि ऐसे बच्चों को भी वैध कानूनी वारिसों के साथ हिस्सा मिले। इस तरह अब हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 16(3) का दायरा बढ़ाया जाएगा। 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले का निपटारा किया और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया। चलिए आपको बताते हैं क्या है वो फैसला?

सुप्रीम कोर्ट का प्रॉपर्टी नियम (Property Law)

इस इम्पोर्टेंट फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अवैध या शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने के पूरी तरह से हकदार हैं। हालांकि ऐसे बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी दूसरी संपत्ति का अधिकार नहीं पा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह फैसला केवल हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर लागू है. इस मामले में मुद्दा हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 16 की व्याख्या से संबंधित है, जो अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैधता प्रदान करता है।

हालांकि, धारा 16(3) में यह भी कहा गया है कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं और अन्य सहदायिक शेयरों पर उनका कोई अधिकार नहीं होगा। इस संदर्भ में प्राथमिक मुद्दा यह था कि हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू अविभाजित परिवार में संपत्ति को माता-पिता की कब माना जा सकता है।

इसका जवाब देते हुए पीठ ने बताया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक हिंदू मिताक्षरा संपत्ति में सहदायिकों के हित को उस संपत्ति के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है। जो उनकी मौत के वक्त संपत्ति का विभाजन होने पर उन्हें आवंटित किया गया होता। न्यायालय ने माना है कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे ऐसी संपत्ति के हकदार हैं, जो उनके माता-पिता की मृत्यु पर काल्पनिक विभाजन पर हस्तांतरित होगी।

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