पति-पत्नी को भूलकर भी नहीं करना चाहिए एक साथ भोजन, वरना वैवाहिक जीवन में खड़ी हो जाएगी ये 3 समस्या

हमारे यहां ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र में पति पत्नी को एक साथ मिलकर कौन से काम करने या नहीं करनी चाहिए। उसके बारे में बहुत विशेष जानकारी दी है। आजकल बदलते समय के साथ संयुक्त परिवारों की जगह अब एकल परिवार ने ले ली है। बदलते समय के साथ-साथ रहन-सहन तौर-तरीके भी लोगों के बदल चुके हैं। इन सब में लोगों ने अपने खाने की आदतों में भी बहुत बदलाव किया है।

Husband and Wife

आजकल परिवारों में अक्सर देखा गया है कि पति पत्नी एक साथ बैठकर एक ही थाली में भोजन करते हैं। उनका यह मानना है कि एक साथ बैठकर भोजन करना उनके बीच में प्रेम को अधिक बढ़ाएगा। लेकिन शास्त्रों में पति-पत्नी का एक साथ भोजन करना सही नहीं माना गया है। 

धर्म शास्त्रों के ज्ञाता भीष्म पितामह ने इस संदर्भ में कुछ विशेष बातें बताई है। जिनका उल्लेख महाभारत में पढ़ सकते हो वास्तु शास्त्र के अनुसार पति-पत्नी का एक साथ भोजन करना परिवार में दरिद्रता और पति पत्नी के प्रेम प्रसंग पर भी संकट खड़ा कर सकता है। आइए जानते हैं आखिर इसका क्या उल्लेख बताया गया है

1. पति पत्नी ना करें भोजन एक साथ एक थाली में बैठकर

भीष्म पितामह ने सुखी वैवाहिक आदर्श जीवन के बारे में बताया है कि अपने जीवन में व्यक्ति कई प्रकार के लोगों को बनाता है। परिवार के हर सदस्य के प्रति वह अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे थे निभाता है क्योंकि वह जिम्मेदारी उसकी खुद की होती है जिसको निभाना जरूरी है। यह घर परिवार में सभी को करना जरूरी है।

 यहां पर पति पत्नी एक ही थाली में अगर भोजन करते हैं तो पति का अपनी पत्नी के प्रति प्यार सम्मान परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में बढ़ जाता है। ऐसे में और दूसरे परिवार के सदस्य उससे उपेक्षा करने लगते हैं। घर में कलर होना शुरू हो जाता है। इस तरह की की गई गलती परिवार के साथ-साथ अपनी खुद की खुशियों को भी पूरी तरह बर्बाद कर देती है।

2. खो जाती है सही गलत की पहचान

पति पत्नी के बीच अत्यधिक प्रेम पति को पथभ्रष्ट के साथ-साथ उसकी बुद्धि को भी भ्रष्ट कर देता है। आदमी सही गलत को सोचने समझने की शक्ति को बढ़ता है इसीलिए पति पत्नी को एक साथ थाली में बैठकर भोजन करना सही नहीं होता है। अगर पूरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाता है। इससे परिवार में परस्पर प्यार प्रेम सम्मान बढ़ता है। सभी में एक दूसरे के प्रति त्याग और समर्पण की भावना भी पैदा होती है। घर में पूरी तरह खुशहाल वातावरण बन जाता है सुख समृद्धि भी साथ में बनी रहती है।

3. खाने लायक नहीं होता है यह खाना

भीष्म पितामह ने वर्णन किया है कि अगर कोई खाने की थाली को पार कर देता है तो वह भोजन भी दूषित माना जाता है। इस तरह के भोजन को जानवरों को खिला देना सही होता है। अगर परोसी गई थाली से को ठोकर खा जाता है तो उस भोजन को हाथ जोड़ कर फेंक देना चाहिए। क्योंकि इस तरह का भोजन करना गरीबी दर्शाता है। जिस भोजन में बाल खाने के साथ में आ जाते हैं। उससे घर में धन खर्च की समस्या आती है।

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