गुड़ को लंबे समय से चीनी के पसंदीदा विकल्पों में से एक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है, खास कर डायबटीज के मरीजों के लिये यह विशेष रूप से सच है। यहां तक कि हमारे बड़े-बुजुर्ग भी हमें हमेशा भोजन के बाद गुड़ का एक टुकड़ा खाने की सलाह देते हैं। गुड़ खाए गए भोजन को पचाने में मदद करता है।

हालांकि, जैसा कि हम जानते हैं, जब आप डायबटीज से पीड़ित होते हैं, तो आपको वास्तव में सावधान रहने की आवश्यकता होती है कि आप क्या खाते हैं और क्या नहीं खाना चाहिए। तो चलिएआज के इस लेख में, हम आपको बताने वाले हैं कि क्या डायबटीज रोगी गुड़ खा सकते हैं या नहीं?
डायबिटीज के ज्यादातर मरीज अक्सर चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करते हैं। गन्ने से प्राप्त होने वाले रस को व्यापक रूप से उबालने और कम करने के बाद अक्सर खाद्य पदार्थ का उत्पादन होता है। इसमें अच्छी मात्रा में आयरन होता है, जो इसे पाचन के लिए वास्तव में अच्छा बनाता है।
इसे चीनी से भी ज्यादा पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। माना जाता है कि गुड़ चीनी से थोड़ा कम रिफाइंड होता है। नतीजतन, गुड़ में सभी आवश्यक खनिज जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और अन्य खनिज बरकरार रहते हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो गुड़ खाने के कई फायदे और नुकसान हैं।
डायबिटीज में गुड़ खाने के फायदे
- गुड़ चीनी के मुकाबले कम रिफाइंड होता है और इसलिए गुड़ में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें कैल्शियम, आयरन आदि शामिल हैं।
- गुड़ का सेव शरीर में ब्लड प्रेशर लेवल स्थिर करने में बहुत मदद करता है। डायबिटीज से पीड़ित रोगियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मधुमेह से संबंधित कई अतिरिक्त जटिलताएं होती हैं।
- गुड़ पाचन की पूरी प्रक्रिया को सुचारू बनाने में भी मदद करता है। मधुमेह रोगी के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाचन अक्सर उनके और उनके शरीर के साथ एक समस्या होती है।
- हालांकि, गुड़ खाने के कुछ जोखिम भी हैं, जिन्हें मधुमेह के रोगियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
डायबिटीज में गुड़ खाने के खतरे
गुड़ खाने का एक मुख्य जोखिम यह है कि इसमें सुक्रोज होता है। मधुमेह में, यदि आप सुक्रोज खाते हैं, तो आपके शर्करा के स्तर में वृद्धि होने का जोखिम होता है। इस प्रकार गुड़ का मधुमेह पर चीनी की तरह ही प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, इसका एकमात्र लाभ आपको यह मिलता है कि चीनी की तुलना में गुड़ खाने में स्पाइक होने का समय अधिक होता है। दरअसल, गुड़ में सुक्रोज की कुल मात्रा करीब 65 से 85 फीसदी तक होती है।
अधिकांश डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों का हमेशा यह विचार होता है कि मधुमेह के रोगियों को ऐसा आहार लेना चाहिए, जिसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो। हालांकि, गुड़ की रासायनिक संरचना ऐसी है कि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स वास्तव में उच्च होता है। इसी वजह से विशेषज्ञ गुड़ को चीनी का पसंदीदा विकल्प नहीं मानते हैं। इस प्रकार, यदि आप मधुमेह रोगी हैं, तो आपको गुड़ खाने के लाभों और जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।