Chanakya Niti: दुश्मन से हमेशा जीतना है तो चाणक्य के इन 4 बातों का रखें ध्यान, फिर कोई नहीं हरा पाएगा

चाणक्य का नाम भारत के सबसे ज्ञानी विद्वानों की सूची में रखा जाता है, इस वजह से बहुत सारे लोग आज भी उनकी बातों का पालन करते हैं। चाणक्य अपनी नीति में बहुत सारी ऐसी चीजों के बारे में बताया है जिसका पालन करने से लोगों की जिंदगी बदल सकती है, लेकिन इसकी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं होती है।

Chanakya Niti

हम सब जानते हैं चाणक्य ने अपनी ज्ञान और विकेक के द्वारा मगध के साम्राज्य को पूरी तरह समाप्त कर दिया था, उसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य को वहां का सम्राट बनाया था। इसके अलावा आचार्य चाणक्य अपनी जिंदगी में कई ग्रंथ लिखे हैं जिसे लोग आज भी पढ़ते हैं।

चाणक्य अपने उन ग्रंथों में कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें लिखी है जो आज के दौर में हर किसी को मालूम होनी चाहिए। इसी वजह से आज हम आपको इस लेख में उनकी चार ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका ध्यान रखने से आपको कोई नहीं हरा सकता है।

1. नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः॥

आचार्य अपने इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं किसी भी इंसान को ज्यादा भोला या हृदय से अधिक सरल नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा नुकसान व कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिस तरह जंगल में उन पेड़ को पहले काट दिया जाता है जो सीधा होता है जबकि कुबड़े या तिरछे पेड़ को छोड़ दिया जाता है।

2. कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्या कामधेनु गाय की तरह है जो हर परिस्थिति में मनुष्य के लिए फलदायी साबित होता है। ज्ञान मनुष्य के लिए माता की तरह रक्षा करती है तथा इसे छुपा हुआ धन कहा जाता है।

3. यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि॥

अपनी इस श्लोक के द्वारा चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य निश्चित को गलत और अनिश्चित को सही मान लेता है उसकी बर्बादी तय है तथा उसका सब कुछ खत्म हो जाता है। इस वजह से हर मनुष्य को कोई भी फैसला लेने से पहले अच्छी तरह सोच विचार करना चाहिए।

4. आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च।
पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः॥

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि मनुष्य का जीवन, काम, धन, ज्ञान और मृत्यु एक समाना बराबर है तथा इन पांचों तत्व का निर्माण माता के गर्भ में ही तय जाता है। इस वजह से कोई भी व्यक्ति इसे चाहकर भी नहीं बदल सकता है।

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