हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए 2024 का वर्ष बहुत ही मंगलकारी है, क्योंकि उसी वर्ष अयोध्या मंदिर का उद्घाटन होगा। अयोध्या मंदिर के गर्भ गृह में जो भगवान राम की प्रतिमा है वह शालिग्राम के पत्थरों से बनाई जा रही है। क्या आप जानते हैं कि इस के लिए शालिग्राम का पत्थर क्यों चुना गया है?

आपको बता दें कि शालिग्राम पत्थर भगवान विष्णु का ही एक रूप है और हम सब जानते हैं कि श्री राम भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसलिए भगवान राम की प्रतिमा को बनाने के लिए शालिग्राम के पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। यह पत्थर 6 करोड़ वर्ष पुराना है। आप इससे अनुमान लगा सकते हैं कि जब मानव अपने विकास के क्रम में आगे की ओर बढ़ रहा था तब इस पत्थर की उत्पत्ति हो चुकी थी।
शालिग्राम पत्थर आखिरकार क्या होता है?-
नेपाल के गंडकी नदी में पाया जाने वाला शालिग्राम पत्थर एक प्रकार का विशेष पत्थर है जो नदी की तेज बहाव में घिस करके चमकदार और गोल आकार ले लेता है। पानी के घिसाव के कारण पत्थर का रंग काला और धूम्रवर्ण का हो जाता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बड़ी श्रद्धा भाव से इस पत्थर को अपने घरों में रखकर पूजा पाठ करते हैं।
शालिग्राम पत्थर रखने का नियम क्या है?
1. शालिग्राम पत्थर को अपने घर की पूजा गृह में स्थापित करने से पहले यह भलीभांति जांच परख लें कि पत्थर में कहीं दरार तो नहीं है और यह देखें कि पत्थर में कहीं छोटे-छोटे छिद्र तो नहीं हुए हैं। इसके अलावा आपको यह भी ध्यान देना है कि पत्थर का रंग मटमैला तो नहीं है। इन सबकी जांच परख करने के बाद ही शालिग्राम पत्थर अपने घर में लाएं।
2. शालिग्राम पत्थर की पूजा अर्चना करने से पहले पहले वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार शालिग्राम पत्थर की स्थापना करें। जब पत्थर एक बार स्थापित हो जाएगा तो उसमे प्राण प्रतिष्ठा आ जाएगी। जब प्राण प्रतिष्ठा आ जाएगी, तब आप प्रतिदिन सुबह स्नान करके शालिग्राम पत्थर की पूजा अर्चना करें।
3. शालिग्राम पत्थर की पूजा अर्चना करने से पहले शालिग्राम पत्थर पर पीला चंदन का टीका लगाएं पीला चंदन भगवान विष्णु का प्रतीक है उसके बाद शालिग्राम पत्थर पर तुलसी पत्र अर्पित करें।
4. महिलाओं में उन्हीं महिला को शालिग्राम पत्थर की पूजा करनी चाहिए पीरियड बंद हो चुकी है और कुंवारी लड़कियों में उन्हीं लड़कियों को पूजा करनी चाहिए जिसका पीरियड प्रारंभ नहीं हुआ है।