निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन अब 300% अधिक बढ़ जाने के कारण उनकी पेंशन की राशि 7500 से सीधा 25000 रुपए तक हो जाने की संभावना है। इसका कारण न्यूनतम पेशन राशि में संभावित बदलाव है।

संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को 58 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन मिलने लगती है। यह पेंशन योजना (Employee Pension scheme)-1995 की जारी स्कीम के तहत है जिसके अनुसार संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी सैलरी का 12% EPF में देना होता है और इतनी ही राशि नियोक्ता देता है पर नियोक्ता की योगदान राशि का एक भाग EPF में जमा हो जाता है।
बेसिक सैलरी मानदंड क्या है?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पेंशन का मानदण्ड 15000 रुपए मूल वेतन के अनुसार है। तात्पर्य यह है कि चाहे आपकी बेसिक सैलरी 15000 रुपए से अधिक हो फिर भी पेंशन की गणना 15000 रुपए के आधार पर ही होगी।
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के हित में ऐसा सुझाव दिया गया है कि पेंशन का निर्धारण अंतिम सैलरी के आधार पर होना चाहिए। कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि में 10 वर्ष तक अंशदान अनिवार्य है तथा 20 वर्ष की सेवा पूरी होने पर 2 वर्ष का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। अब देखते हैं कि तय सीमा को हटाने से कर्मचारियों को क्या लाभ मिल सकता है।
15000 रुपए की मौजूदा व्यवस्था के अनुसार
इसके अनुसार यदि किसी कर्मचारी ने एक जनवरी 2022 से सेवा शुरू की हो और 15 साल पूरा होने पर पेंशन लेना चाहे तो ईपीएस के अनुसार उसकी पेंशन 15000 रुपए होगी। यहां यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्मचारी का मूल वेतन 20000 हो या 30000 रुपए। 2 जनवरी 2037 को लगभग ₹3000 उसकी पेंशन निर्धारित होगी। इसका अंकगणितीय कैलकुलेशन इस प्रकार है – (सर्विस टाइम +15,000/70) , पर यदि पेंशन की यह तय सीमा खत्म हो जाती है तो उस कर्मचारी की पेंशन बढ़ जाएगी।
1. यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन + डीए/20000 रुपए है तो EPS फार्मूले के हिसाब से उसकी पेंशन का निर्धारण ₹4000(20,000*14)/70=4000 रूपए होगा। अतः वेतन के अनुपात में पेंशन में भी बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार कर्मचारी अनुमानत: 300 फ़ीसदी तक का लाभ पा सकते हैं।
2. मान लेते हैं कि किसी कर्मचारी का सेवाकाल 33 वर्ष है और अंतिम मूल वेतन ₹50000 है। मौजूदा EPS व्यवस्था में पेंशन का निर्धारण ₹15000 पर ही है। इस प्रकार मौजूदा स्कीम (33 वर्ष+2=35/7015,000) के हिसाब से पेंशन ₹15000 निर्धारित होगी लेकिन यदि वर्तमान व्यवस्था हटा दी जाती है तो लास्ट सैलरी के हिसाब से ₹25000 पेंशन निर्धारित होगी। कैलकुलेशन इस प्रकार होगा- 33वर्ष+2=35/7050,000=25,000 रूपए।
333% का अतिरिक्त लाभ
यह जानकारी के लिए बताना जरूरी है कि EPFO के अनुसार 20 वर्ष या उससे अधिक समय तक ईपीएफ में अंशदान करने वाले की सेवा में 2 अतिरिक्त वर्षों का लाभ मिलता है। इस तरह 33 वर्ष के सेवा काल के लिए उसे 35 वर्ष की पेंशन का लाभ मिलेगा। अत: उस कर्मचारी की ईपीएफ की राशि का अनुपात बढ़कर 333% हो जाएगा।