प्रॉपर्टी खरीदते समय ध्यान से चेक करें बेचने वाले की ये चीज, वरना देना पड़ेगा 20% TDS

यदि आप भी 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की कोई प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो हमारा आज का आलेख आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर आज आप इस जानकारी को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं तो आपको भविष्य में कई भारी आर्थिक नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

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दरअसल बात यह है कि 50 लाख रुपए या उससे ज्यादा कीमत वाली कोई भी प्रॉपर्टी यदि आप खरीदते हैं तो प्रॉपर्टी विक्रेता को पेमेंट करते समय बिक्री मूल्य की 1 परसेंट रकम TDS के तौर पर सरकार के पास जमा करनी पड़ती है।

यह नियम आमतौर पर सभी पर लागू होते हैं और प्रॉपर्टी की खरीद करते समय प्रॉपर्टी एजेंट और वकील इसकी जानकारी आपको जरूर देते हैं। लेकिन इस नियम से जुड़ी कुछ विशेष बातों के बारे में लोगों में जागरूकता कम है, इसलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि क्या हैं ये नियम :-

जानिए क्या है TDS काटने का नियम?

50 लाख रुपए या उससे ऊपर की कीमत वाली प्रॉपर्टी खरीदते समय प्रॉपर्टी वैल्यू का 1% टीडीएस काटने का नियम सिर्फ उसी वक्त लागू होता है जब प्रॉपर्टी बेचने वाले के पास एक वैलिड और एक्टिव पैन नंबर मौजूद हो। अब यहां पर वैलिड और एक्टिव पैन नंबर पर गौर करना जरूरी है जिसका अर्थ यह है कि आप प्रॉपर्टी बेचने वाले का जो पैन नंबर का डिटेल दे रहे हैं, वह भुगतान करते समय वैलिड और एक्टिव दोनों होना चाहिए।

अगर आधार से लिंक ना हो या किसी भी और कारण से विक्रेता का पैन नंबर भुगतान के समय वैलिड या एक्टिव नहीं होता है तो ऐसी हालत में नियमों के तहत टीडीएस की अनिवार्य कटौती एक प्रतिशत से बढ़कर सीधा 20% हो जाती है जिसका अर्थ यह है कि अगर आपने प्रॉपर्टी के लिए भुगतान करते समय विक्रेता के पैन नंबर की जांच ढंग से नहीं की है तो यह नियम आपको भारी आर्थिक मुश्किलों में डाल सकता है।

भुगतान करने वाले की जिम्मेदारी

आय-कर विभाग का नोटिस मिलने के बाद प्रकाश के सामने प्रॉपर्टी बेचने वाले महेश से इसकी भरपाई मांग करने का विकल्प मौजूद है क्योंकि महेश ने निष्क्रिय पैन नंबर देकर गलती की थी लेकिन प्रॉपर्टी का सौदा पूरा हो जाने और भुगतान कर दिए जाने के बाद टैक्स नोटिस में मांगी गई रकम विक्रेता से वसूल कर पाना आसान नहीं होगा।

इसके अलावा इनकम टैक्स के नियमों में भी विक्रेता के पैन नंबर की वैलिडिटी चेक करने, सही ढंग से टीडीएस की कटौती करने और फिर उसे जमा करने की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी खरीदने वाले पर डाली जाती है इसलिए टीडीएस काटने और जमा करने का नोटिस प्रॉपर्टी के खरीदार को मिलता है विक्रेता को नहीं।

बाद में पेमेंट स्टेटस बदलने से नहीं बनेगी बात

यहां पर एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि यदि नोटिस मिलने के बाद विक्रेता को बताया जाए कि उसका PAN निष्क्रिय है और इसके बाद उसने अपने पैन को फिर से एक्टिव कर लिया हो तो भी 20% TDS की देनदारी खत्म नहीं होती।

ऐसा इसलिए है क्योंकि टीडीएस की देनदारी इस बात पर निर्भर होती है कि भुगतान करते समय विक्रेता के PAN का स्टेटस क्या था यानि भुगतान के वक्त अगर PAN निष्क्रिय है और बाद में उसे एक्टिव करवा लिया गया है तो भी टीडीएस 20% ही देना पड़ेगा। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय यह हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम विक्रेता के पैन कार्ड की जानकारी पूरी जागरूकता के साथ लें।

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