Rent Agreement Rule: आखिर क्यों रेंट एग्रीमेंट सिर्फ 11 महीने का होता है? जानिए इसकी असली वजह

Rent Agreement Rule: रेंट एग्रीमेंट के लिए 11 महीने का नियम इसलिए है क्योंकि यह नियम बाजार की मांग और प्रावधान को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसका मकसद है कि किरायादार और मकान मालिक के बीच संवेदनशीलता और सुरक्षा का मानक स्थापित किया जाए। यह आमतौर पर लीज की अवधि को एक साल के रूप में स्थापित करता है, जो व्यापारिक और कानूनी प्रयोजनों के लिए संगत होता है। इससे अवसरी किराया बढ़ाने में मकान मालिक को परेशानी हो सकती है।

Rent Agreement Rule

बड़े शहरों में नौकरी के अवसर के लिए लोग अक्सर चलते हैं, और वहां किराए पर रहते हैं। नए आवास में दाखिल होते समय या घर लेते समय, रेंट एग्रीमेंट बनवाना आवश्यक होता है। इससे किरायदार और मकान मालिक के बीच संबंध और विश्वास बनता है। यह किराया, अवधि, शर्तें, और सुरक्षा को संघटित करता है।

रेंट एग्रीमेंट निर्धारित किराये, अवधि, और शर्तों को व्यवस्थित करता है। यह विवादों से बचाव करता है और किरायदार और मकान मालिक के बीच संबंध को स्थिर बनाता है। रेंट एग्रीमेंट की विशेषता है कि यह 11 महीने के लिए ही होता है, जो कि नियमित आधारिक रेंट पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

क्यों बनता है 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट? (Rent Agreement Rule)

किराएदारों के लिए कानूनों में रेंट एग्रीमेंट से संबंधित नियम शामिल हैं। यहां तक कि यह विधि साल में 12 महीने के बजाय एक साल से कम अवधि के लिए भी लागू होता है। इसका मतलब है कि छोटे अवधि के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर कराने की अनिवार्यता नहीं होती है। यह नियम किराएदारों को छोटे समय के लिए किराए के लिए आसानी प्रदान करता है और उन्हें संपत्ति के उपयोग से संबंधित स्थिति के लिए अधिक संवेदनशीलता प्राप्त होती है।

यहां तक की मकान मालिक एक 11 महीने की अवधि का रेंट एग्रीमेंट बिना किसी रजिस्ट्रेशन के बना सकते हैं। अर्थात, किराया देते समय उन्हें किसी भी तरह के दस्तावेज़ के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती है और न ही रजिस्ट्रेशन का शुल्क देना पड़ता है।

किराएदार मकान मालिक के बीच विवाद

रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में किराया लेने के सम्बंध में बनाए गए कानूनों में अधिकांश किराएदारों को ही विशेष माना गया है। ऐसा होने के कारण, यदि किसी किराएदार के साथ संपत्ति मालिक का विवाद होता है और वह संपत्ति को खाली कराना चाहता है, तो इसमें काफी कठिनाइयाँ होती हैं।

एक छोटी सी गलती के कारण संपत्ति मालिक को अपनी संपत्ति के लिए वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है। इसी कारण, अक्सर 11 महीने की ही नोटरी रेंट एग्रीमेंट को प्राथमिकता दी जाती है और यह कानूनी रूप से मान्य होता है। यदि कोई विवाद होता है, तो एग्रीमेंट को साक्ष्य के रूप में पेश किया जा सकता है। अगर किराएदार और मालिक के बीच कोई विवाद हो और यह मुद्दा कोर्ट में पहुंचता है, तो कोर्ट को यह अधिकार होता है कि वह किराया की फिक्सेशन करे। मालिक को उससे अधिक किराया नहीं लेने की अनुमति नहीं होती।

नहीं होगा रजिस्टरार का चक्कर

11 महीने के रेंट एग्रीमेंट बनाने की एक और वजह यह है कि इस अवधि के एग्रीमेंट के लिए स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी पड़ती है। यदि रेंट एग्रीमेंट एक साल से कम का हो, तो उस पर देय स्टाम्प शुल्क नहीं होता। इससे किराएदार को पैसे बचाने में मदद मिलती है। रेंट एग्रीमेंट का शुल्क किराएदार को देना होता है और नोटरी रेंट एग्रीमेंट के लिए स्टॉम्प पेपर का उपयोग किया जाता है।

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