विजय माल्या-नीरव मोदी से भी बड़ा धोखेबाज निकला ये कंपनी, देश के 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ रुपये का चूना

भारत में विजय माल्या और नीरव मोदी को पीछे छोड़ते हुए शिपयार्ड कंपनी ने अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड किया है। जिसके अंतर्गत उन्होंने 28 बैंकों को 22842 करोड रुपए काचूना लगाया है। इस कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

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अगर बात करें तो यह मामला देश के सबसे बड़े फ्रॉड में सम्मिलित कर दिया गया है। देश की जानी-मानी कंपनी एबीजी शिपयार्ड ने 22842 करोड रुपए का घोटाला 28 बैंकों के साथ किया है। इस धोखाधड़ी के मामले के चलते सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड और उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की है।

यह एक ऐसी कंपनी है जो की जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत का काम करती है। सबसे ज्यादा राशि इसने आईसीआईसीआई बैंक से ली है। जिसमें ₹7,089 करोड रुपए शामिल है। इसके अलावा बात करें तो आईडीबीआई बैंक, एसबीआई बैंक, पीएनबी बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से लगभग 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि का घोटाला किया है।

एसबीआई बैंक ने की कंपनी के खिलाफ FIR

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा कई ब्रांचो से और कई जगहों पर शिकायत दर्ज की गई है। एबीसी शिपयार्ड लिमिटेड के मेंबर मगदल्ला विलेज, ऋषि कमलेश अग्रवाल, गुजरात कंपनी, सूरत, गारंटर संथानम, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अश्विनी कुमार, डायरेक्टर रवि विमल निवेदिता, डायरेक्टर सुशील कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर मेंबर्स एब्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तथा कुछ सरकारी लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

इन सभी लोगों पर आपराधिक साजिश, चीटिंग, क्रिमिनल बीच ऑफ ट्रस्ट पोस्ट का दुरुपयोग करके कॉन्सॉर्टियम ऑफ बैंक, बैंक ऑफ़ पटियाला स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया स्टेट बैंक ऑफ़ त्रवंकोर स्टेट जो कि आईसीआईसीआई बैंक के द्वारा लीड किया जा रहा था। इन पर कुल 22842 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का सभी पर आरोप लगाया गया है और फिर दर्ज करवाई गई है।

12 मार्च को देना था स्पष्टीकरण

बैंकों के सभी संघ ने मिलकर 12 मार्च को स्पष्टीकरण मांगा था। अगर बात करें तो 8 नवंबर 2019 को यह शिकायत दर्ज करवाई गई थी। जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को सभी से स्पष्टीकरण मांगा था। बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त शिकायत दर्ज की थी। जिसमें लगभग डेढ़ साल का समय लेकर सीबीआई ने इस पर कार्यवाही की है।

देखा जाए तो एसबीआई के साथ 28 बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने 2468.51 करोड़ रुपए की रेट की मंजूरी दी थी। फॉरेस्ट ऑडिट से पता चला है कि साल 2012 से 2017 के बीच में आरोपियों के द्वारा मिली भगत के तौर पर गतिविधियों को अंजाम दिया गया था। जिसमें पैसे का गलत उपयोग करने और कई तरह की आपराधिक विश्वासघात इसके अंतर्गत शामिल है।

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