Rent Agreement: अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी….! किराया बढ़ाने से पहले करना होगा ये काम, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Rent Agreement Law: अच्छी नौकरी पाने के लिए लोग दूसरे शहर जाते हैं। वहां रहने के लिए किराए पर मकान या एक कमरा लेते हैं। किराए पर कमरा लेने के बाद मकान मालिक असमय पैसा बढ़ा देते हैं जिसके कारण किराएदार को काफी परेशानी होती है। अचानक किराया बढ़ाना सही है या गलत इसका फैसला हाई कोर्ट ने किया है। रेंट एग्रीमेंट किराएदार और मकान मालिक के बीच एक लिखित सहमति मानी जाती है। 11 महीने तक के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं होता है।

Rent Agreement

प्रॉपर्टी के किराए में बढ़ोतरी के संबंध में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक जरूरी फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के अनुसार खबर आई है कि 11 महीने से ज्यादा समय के लिए बनाया गया रेंट एग्रीमेंट अगर रजिस्टर्ड नहीं है तो मकान मालिक किराया नहीं बढ़ा सकता है। 11 महीने तक के किराएनामा को रजिस्टर्ड कराने की जरूरत नहीं होती है। चलिए आपको इसके बारे में और विस्तार से बताते हैं।

मकान मालिक नहीं बढ़ा सकते मकान का किराया

रेंट एग्रीमेंट किराएदार की मकान मालिक के साथ लिखित सहमति होती है इसमें मकान, फ्लैट, कमरा या कोई व्यावसायिक परिसर तय अवधि के लिए लिया जाता है। इस एग्रीमेंट में किराया, मकान की हालत, पता और रेंट एग्रीमेंट खत्म होने से संबंधि नियम और शर्त लिखे होते हैं। ये पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(1)के अंतर्गत किराएदार के लिए 11 महीने का रजिस्टर्ड होता है।

अगर कोई मकान मालिक एग्रीमेंट रीन्यू नहीं कराता है तो वो किसी भी कीमत पर अपनी प्रॉपर्टी का किराया नहीं बढ़ा सकता है। मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, एक व्यक्ति ने अपनी प्रॉपर्टी बैंक को किराए पर दी थी जिसका मासिक किराया 13,574 रुपये आता था। किराएदार ने 81,444 जमानत धनराशि जमा की थी. बैंक को बिना बताए स्थानीय मालिक ने किराया बढ़ा दिया था लेकिन एग्रीमेंट को रीन्यू करना भूल गया था।

इसके बाद बैंक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो हाईकोर्ट ने ये फैसला बैंक के हक में सुनाया। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि रेंट एग्रीमेंट 11 महीने से ज्यादा समय के लिए बनाया जाता है या 11 महीने के बाद रीन्यू किया जाता है तो किराया बढ़ाना सही है लेकिन अगर रीन्यू नहीं है तो किराया नहीं बढ़ाया जा सकता है।

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