पिछले साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण के लिये कई बार रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की। अब एक बार फिर खबरें हैं कि आरबीआई एमपीसी से फरवरी में रेपो दर में एक और बढ़ोतरी होने की उम्मीद हैं। चक्र में विराम लगाने से पहले मौद्रिक नीति समिति अगले महीने रेपो दर में 25 बीपीएस की वृद्धि कर सकती है। बता दें कि रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की वजह से जहां लोन महंगे हुए वहीं, फिक्स डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज दर भी मिलने लगा है।

ऐसे में अगर फिर रेपो रेट बढ़ायी जाती है, तो ग्राहकों को और ज्यादा ब्याज दर मिलेगी। मौजूदा समय में भारतीय रेपो रेट 6.25% का है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक नोट में कहा, “वैश्विक व्यवधान और अपस्फीति की सीमा आरबीआई के प्रतिक्रिया कार्य के लिए महत्वपूर्ण रहेगी”।
ये उल्लेखनीय है कि फिलहाल कई बड़े और प्राइवेट बैंक रेपो रेट में वृद्धि के बाद से अपने ग्राहकों को एफडी पर 8 प्रतिशत तक का ब्याज दर दे रहे हैं। ऐसे में अगर रेपो रेट अगले महीने फिर से बढ़ायी जाती है, तो ग्राहकों को एफडी पर 8.5% तक सामान्य ब्याज दर मिल सकता है।
बार्कलेज के विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई के दिसंबर के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ बहुत सहज महसूस करने की संभावना नहीं है, क्योंकि मांग से प्रेरित मूल्य दबाव ऊंचा बना हुआ है। उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि केंद्रीय बैंक फरवरी की मौद्रिक नीति बैठक में मोटे तौर पर तेजतर्रार नीतिगत रुख बनाए रखेगा और रेपो दर को 6.50% तक ले जाते हुए 25bp की बढ़ोतरी करेगा”। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि समवर्ती वास्तविक रेपो दर काफी सकारात्मक है।
इन लोगों को होगा फायदा
- फिक्स्ड डिपॉजिट करने वाले ग्राहकों को मिलेगा ज्यादा ब्याज दर का फायदा।
- कॉर्पोरेट बॉन्ड खरीदने पर लोगों को मिलेगा ज्यादा मुनाफा।
- प्राइवेट फाइनेंस कंपनी आजा एनबीएफसी के स्कीम में पैसा लगाने वाले लोगों को ज्यादा ब्याज का फायदा।
रेपो रेट बढ़ने से होने वाले नुकसान
- लोन महंगे हो जायेंगे।
- किसी भी चीज की ईएमआई ज्यादा होगी।
- व्यवसायिक फॉर्म बड़े लोन लेने से पहले दो बार सोचेंगे।
- व्यवसाय में आयेगी परेशानियां।