ट्रेनों से सफर करते वक्त या रेल की पटरियों के पास से गुजरते वक्त आपने देखा होगा कि पटरियां बीच में कई जगह पर कटी हुई होती है। इनमें छोटा सा गैप छोड़ा जाता है। इन्हें देख कर ऐसा लगता है कि इन पटरियों पर कहीं ट्रेनें दुर्घटना का शिकार ना हो जाये, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है? आइये जानते हैं।

रेलवे की पटरियां लोहे की बनी होती हैं, और जब लोहा गर्म हो जाता है, तो यह फैलता है और जब ठंडा रहता है, तो यह सिकुड़ता है। इसी तरह गर्मी के मौसम में रेलवे ट्रैक गर्म होने की वजह से फैलने लगते हैं। इसलिए अगर कोई गैप नहीं होगा, तो ट्रैक या ब्रिज अलग-अलग दिशाओं में झुकने की कोशिश करेंगे, लेकिन सर्दियों के मौसम में ट्रैक या पुल ठंडा हो जाएगा और इसलिए यह सिकुड़ने की कोशिश करता है।
इसलिए पटरियां या पुल टूट कर खुद को सीधा करने या अलग करने की कोशिश करेंगे। जब रेलवे ट्रैक फैलता है, तो ये गैप भर जाता है और जब रेलवे ट्रैक सिकुड़ता है तो खाई कुछ और बढ़ जाती है। इस प्रकार रेलवे ट्रैक अपनी मूल दिशा में रहते हैं।
यदि रेलवे ट्रैक फैलता है तो ट्रैक की चौड़ाई सम नहीं होगी। रेलवे ट्रैक अलग-अलग दिशाओं में अपनी स्थिति बदलने की कोशिश करेगा, जिस वजह से ट्रेन का पहिया बेपटरी होकर दुर्घटना घट सकती है। इन खतरनाक परिणामों से बचने के लिए, रेलवे ट्रैक या पुल को खंडों में विभाजित कर दिया जाता है और उनके बीच थोड़ा अंतराल देकर उन्हें जोड़ दिया जाता है।
यदि उनके बीच में थोड़ा गैप है तो अगर लंबाई बढ़ा दी जाए तो गैप बंद हो जाता है और अगर लंबाई कम कर दी जाए तो गैप थोड़ा बढ़ जाता है। इस प्रकार यह ऋतुओं के ताप और शीतलन की भरपाई करता है।