अब सिर्फ 30 सेकंड में मालूम करें दूध असली है या नकली, भारत में बना दूध पहचाने वाला चमत्कारी डिवाइस

जैसे-जैसे दुनिया प्रगति कर रही है, वैसे-वैसे सभी चीजों में मिलावट भी बढ़ रही है। आज-कल खाने पीने की कोई भी चीज पूरी तरह से शुद्ध नहीं होती, चाहे वो सब्जी हो, फल हो, घी हो या फिर दूध। दूध की मात्रा को बढ़ाने के लिए उसमें मिलावट की जाती है, जिससे मुनाफा ज्यादा हो सके।

Milk Adulteration

इन दिनों दुनिया में सबसे अधिक दूध में मिलावट की जाती है, ताकि इससे अधिक पैसा कमाया जा सके। भारत में दूध की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इस वजह से इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि दूध बेचने वाले बहुत ज्यादा मात्रा में मिलावट करने लगे हैं, लेकिन अब इसे पकड़ने के लिए एक डिवाइस बनाया गया है तो चलिए अब हम इसके बारे में जानते हैं।

इस तरह होगी असली-नकली की पहचान

आज-कल दूध को दूषित करने के लिए उसमे यूरिया, मेलामाइन, डिटर्जेंट, बोरिक एसिड, स्टार्च, साबुन और भी ऐसे ही कुछ हानिकारक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। इस मिलावट वाले दूध को पीकर शरीर को कोई फायदा तो नहीं पहुंचेगा, बल्कि नुकसान ही हो जाएगा। दूध में मिले इन हानिकारक केमिकल्स के चलते आप बीमार पड़ सकते हैं। हालांकि, अब चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि मेडिकल साइंस ने इसका इलाज ढूंढ लिया है, जिससे आप घर पर बैठ कर ही यह पता लगा सकते हैं कि आप जिस दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं वह शुद्ध है या फिर मिलावट वाला।

आधे मिनट में होगा दूध का दूध पानी का पानी

IIT मद्रास ने एक नया पोर्टेबल डिवाइस बनाया है, जिसकी मदद से आप घर बैठे महज आधे मिनट में ये पता लगा लेंगे कि दूध असली है या नकली। खास बात ये भी है कि इस नई तकनीक से दूध में मिलावट की जांच करने के लिए किसी लैबोरेटरी की जरुरत नहीं होगी। इसका उपयोग घर पर ही किया जा सकता है और मिलावट की जांच करने के लिए सिर्फ एक मिलीलीटर दूध की ही जरूरत होगी।

मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक कम लागत वाला पोर्टेबल 3D पेपर आधारित डिवाइस तैयार किया है, जो दूध में मिलावट का पता लगाने में एक मिनट का भी समय नहीं लेगा।

यह डिवाइस किसी भी लिक्विड में घुले डिटरजेंट, साबुन, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, यूरिया, नमक, सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट जैसे मिलावटी एजेंट्स का पता तुरन्त लगा सकता हैं। यह डिवाइस IIT मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एक सहयोगी प्रोफेसर डॉ पल्लव सिन्हा ने तैयार किया है।

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