Personal Loan: कई बार ऐसा होता है कि हम लोन ले लेते हैं और उसे चुका नहीं पाते हैं। कई बार हमारी आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब होती है जिसकी वजह से हम लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं।
ऐसे में एक्सपर्ट लोगों का कहना है कि पर्सनल लोन अगर हम नहीं चुका पा रहे हैं तो ऐसे बहुत सारे तरीके होते हैं जिनके जरिए हम लोन के चक्कर से बाहर निकाल सकते हैं तो आईये आपको बताते हैं आपके इस तरीके से बाहर निकले।
सिक्योर्ड लोन
ऐसा कर्ज जिसमें बैंक या फाइनेंशियल संस्था लोन के बदले कोई भी संपत्ति या संपत्ति के कागज गिरवी रखती है। अगर लोन लेने वाला व्यक्ति लोन नहीं चुका पाता है या फिर किसी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है तो बैंक गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचकर अपनी रकम पूरी कर लेता है। ऐसे लोन की सालाना ब्याज दर 6.5% से लेकर 10% तक की हो सकती है। इस तरह के लोन में होम लोन, कार लोन, गोल्ड लोन इत्यादि सभी लोन शामिल होते हैं।
अनसिक्योर्ड लोन
इस तरह का लोन केवल उन शख्स को मिलता है जिसका क्रेडिट स्कोर सैलरी या बैंक से संबंध हो। उसके आधार पर ही इस तरह का लोन दे दिया जाता है। इसमें बैंक कुछ भी गिरवी नहीं रखता है। लोन न चुकाने पर या लोन लेने वाले शख्स की अगर मृत्यु हो जाती है तो उसकी रकम बैंक गारंटी से वसूल की जा सकती है। ऐसे लोन की सालाना ब्याज दर 10% से लेकर 20% तक की होती है या इससे भी ज्यादा हो सकती है। पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड पर लोन इत्यादि इन सभी लोन को अनसिक्योर्ड लोन में सम्मिलित किया गया है।
इन तरीकों से लोन से निकल बाहर
बैंक से कुछ समय मांगे
जहां से आपने लोन लिया है या तो ईमेल करके या अगर संभव हो तो उसे ब्रांच में जाकर लोन की डिपार्टमेंट अधिकारी से मिले और उनसे कुछ समय मांगे। बैंक को अपनी स्थिति के बारे में सभी प्रकार की जानकारी दें और यह भी बताएं कि कितने समय तक आप लोन की ईएमआई नहीं दे सकते हैं।
लोन को रिस्ट्रक्चर करा सकते हैं
अगर आपके पास EMI देने के पैसे नहीं है तो आप बैंक से बात कर सकते हैं और लोन को रिस्ट्रक्चर भी करवा सकते हैं। इसके जरिए लोन की ईएमआई कम हो जाती है और लोन चुकाने का समय भी बढ़ जाता है।
बैलेंस को ट्रांसफर भी करवा सकते हैं
ऐसे बहुत सारे बैंक होते हैं जो लोन की रकम को बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा भी देते हैं। ऐसे में बैंक लोन के रूप में और ज्यादा रकम देने की पेशकश भी करता है। इससे पुराने लोन खत्म हो जाते हैं और नया लोन शुरू हो जाता है। इसी के साथ लोन लेने वाले शख्स को रकम भी मिल जाती है और वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी समर्थ हो जाता है। इस तरीके से वह लोन भी चुका पाता है।
लोन को सेटलमेंट भी करवा सकते हैं
अगर कोई व्यक्ति बैंक के बार-बार कॉल आने पर भी EMI नहीं चुका पा रहा है तो वह बैंक जाकर सेटलमेंट के लिए भी निवेदन कर सकता है। इसे वन टाइम सेटलमेंट भी कहा जाता है। इसमें बैंक लोन की बची हुई पूरी रकम नहीं लेते हैं बल्कि 10 से 50 फ़ीसदी तक ही लेते हैं। बाकी रकम को माफ कर देते हैं। ज्यादातर बैंक सेटलमेंट कर रकम चुकाने के लिए एक हफ्ते तक का समय दे देते हैं।