Divorce Dilemma: पति और पत्नि में से कोई एक अगर तलाक लेना चाहे तो क्या होगा। ये प्रशन आम है, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट इसका निपटारा करने के लिए विचार कर रहा है। इस फैसले के बाद अलग अलग रह रहें पति-पत्नी को फायदा होगा, जो तलक नहीं ले पा रहे हैं।
इस मसले को लेकर अदालत में बहस चल रही है कि एक पक्ष तलाक देना चाहता है, जबकि दूसरा नहीं, तो ऐसे में क्या होगा? कोर्ट एक ऐसे ही फैसले पर तलाक देने या नहीं देने की संभावनाओं पर विचार विमर्श करने को राज़ी हो गया है। अदालत का मानना है कि जब अलग हुए जोड़े दोबरा मिल नहीं सकते तो तलाक ही बेहतर विकल्प है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत इस मामले में न्याय लेने के लिए अधिकार देता है। एमिकस क्यूरी वी गिरी ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 29 जून 2016 के अपने फैसले में दो सवालों के साथ पांच जजों की पीठ ने रेफर कर दिया था।
एमिकस क्यूरी वी गिरी ने आगे कहा कि 2022 को इन सवालों में दो और प्रशन जोड़े गए थे। क्या आर्टिकल 142 का उपयोग हिंदू मैरेज एक्ट के प्रावधाों के तहत तलाक की प्रकियाओं तक ही सिमित रखना चाहिए, जस्टिस कॉल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा की आर्टिकल 142 के तहत क्या इस मसले को सुलझाने के लिए 142 प्रदत शक्तियां इस्तेमाल की जा सकती है।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट वी गिरी और दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह और मीनाक्षी अरोड़ा को एमीक्स नियुक्त किया था। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 28 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।