Business Idea: आज-कल की बढ़ती महंगाई के इस दौर में किसान परंपरागत खेती से हटकर ऐसी फसलों को उगा रहे हैं जिसमें उन्हें न्यूनतम लागत से अच्छी कमाई हो सके। एक ऐसे किसान जो पिछले 50 वर्षों से खेती करते आ रहे हैं, इस समय वह अपने खेत में मूंगफली उगा रहे हैं वो बताते हैं कि आमतौर पर मानसून से शुरू होने वाली यह फसल 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है।
इसमें बहुत कम मेहनत और खर्चा लगता है। इससे काफी अच्छा मुनाफा भी होता है। आज के आलेख में हम आपको इस किसान की जुबानी उसके मूंगफली की खेती व फसल की कहानी का विस्तार से खुलासा करेंगे।
कम मेहनत में होती है बंपर कमाई
रूनी गांव के निवासी राम रमेश हर वर्ष चार बीघे के खेत में मूंगफली की फसल उगा रहे हैं। क्योंकि इस उम्र में वह ऐसी फसल करना बेहद वाजिब समझते हैं जिसमें कम मेहनत लगे, इसलिए वह मूंगफली की खेती करते हैं।
इस फसल में एक बीघा में बुवाई करने में लगभग 16 किलो मूंगफली का बीज लगता जो प्रति किलो 60 से लेकर 80 रुपए की दर से बीच मिल जाता है। ऐसे में जब 60 से 70 दिनों में यह फसल तैयार हो जाती है तो लगभग एक बीघा में चार से पांच कुंतल तक की पैदावार भी हो जाती है।
मवेशी नहीं पहुंचाते नुकसान
दूसरी फसलों की अपेक्षा मूंगफली की फसल में मवेशियों के कारण नुकसान भी नहीं होता है क्योंकि इसके पौधे को पशु खाना पसंद नहीं करते हैं। दूसरी ओर मूंगफली जमीन के अंदर होती है जिस कारण पशुओं को इसे खाने में मुश्किल होती है जिससे दूसरी फसलों की अपेक्षा यह फसल नुकसान से बची रहती है।
डबल फसल तैयार करने का तरीका
किसान रामनरेश द्वारा बताया गया कि उनको एक साथ कई फसलों को तैयार करने का तरीका कम भूमि के होने के कारण आया था। ऐसे समय पर वह लगातार नकदी वाली फसल उगाकर कमाई कर रहे हैं। खेतों को मशीन से रोप दिया जाता है, जब पौधा बड़ा हो जाता है तब बीच की भूमि पर उस समय से सिंचाई करते रहते हैं जिस समय मूंगफली की बिक्री कर रहे हैं। जब फसल खत्म हो जाती है तो पौधों की जैविक खाद बनाकर प्रयोग किया जाता है।
बहुत मुनाफे का सौदा है मूंगफली की खेती
मूंगफली की खेती है बहुत मुनाफे का सौदा, रामनरेश द्वारा बताया गया कि उन्होंने अपने खेत में मूंगफली की खेती जब से शुरू की है तब से एक महीने में 50 से ₹60000 की कमाई वह कर लेते हैं। उनके पास चार बीघा खेत है, उसी में नगदी वाली फसलों से वह कमाई कर रहे हैं।
इस फसल में सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें रोग भी कम लगता है और खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। इसके साथ ही जमीन भी उपजाऊ बनी रहती है। वहीं फसल तैयार करने पर उसे बाजार ले जाने की भी कोई चिंता नहीं होती क्योंकि मूंगफली की बिक्री उसी क्षेत्र में ही हो जाती है।