Business Idea: भारत में बहुत से लोग चपाती के साथ तो कभी पराठे के साथ तो कभी चावल के साथ सेम की सब्जी खाना जरूर पसंद करते हैं। आजकल हर कोई पारंपरिक खेती से खुद को दूर करके नगदी फसलों की तरफ़ रूख कर रहा है क्योंकि इसमें ज्यादा मुनाफा और कम लागत है।
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सेम की खेती भी ऐसे ही फायदेमंद विकल्पों में से एक है। इसकी पैदावार ज्यादा होती है और यह काफी कम समय में तैयार हो जाती है। आज के आलेख में हम आपको सेम की खेती के तरीके, अनुकूल समय और फायदे की जानकारी से अवगत कराएंगे।
कम क्षेत्र में अधिक पैदावार के साथ बड़ी कमाई
1 हेक्टेयर खेत में सेम की खेती करने पर लगभग 150 क्विंटल तक की पैदावार देखी जा सकती है और वहीं बाजार में अगर हम सेम की कीमत की बात करें तो 25 से 30 रुपए प्रति किलो तक देखी जा सकती है। इस हिसाब से एक बार की कटाई में लगभग 1 लाख तक की कमाई कहीं नहीं गई है। वहीं एक हेक्टेयर खेत में सिर्फ 25 से 30 किलो बीज की जरूरत होती है।
कैसी होनी चाहिए मिट्टी, जलवायु व तापमान?
यदि हम बात करें मिट्टी जलवायु और तापमान की तो अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी या हल्की रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि रेतीली मिट्टी में इसकी अच्छी खेती होती है लेकिन पीएच लेवल वैल्यू की बात करें तो ये 5.5 से 6 के बीच होना चाहिए। सेम समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह से होते हैं। तापमान की बात करें तो 15 से 25 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त तापमान माना जाता है। सर्दियों में पाला पड़ने से फसल को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
देश में सेम की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ लंबी होती हैं, तो कुछ चपटी। इनके रंग भी अलग-अलग होते हैं, कुछ हरी होती हैं तो कुछ पीली और सफेद भी। उदाहरण के लिए – सी प्रोलीफिक, जवाहर सेम- 37, 53, 79, 85, कल्याणपुर-टाइप, एचडी- 1,18, पूसा सेम- 3, अरका जय, रानी, पूसा अर्ली, जेडीएल-053, अरका विजय, जवाहर सेम- 79, एचए-3 आदि। बाजार में और भी कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं।
खेती का उपयुक्त समय
सेम की खेती को शुरू करने से पहले गहरी जुताई करके खेत को समतल बना लेना चाहिए और फिर क्यारियां तैयार कर लेना आवश्यक होता है। इन क्यारियों में 1.5 से 2 फीट की दूरी पर 2 से 4 बीज बोए जाते हैं। सेम का पौधा बेल वाला होता है इसलिए इन्हें सहारे की भी जरूरत होती है आप इन्हें बेल के सहारे से लगाएं।
इसमें बेल जमीन से ऊपर रहती है इसलिए बीमारियों का खतरा कम रहता है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र में इन बीजों को अक्टूबर से नवंबर के बीच में बोया जाता है, उत्तर पश्चिम क्षेत्र में सितंबर के महीने में बोया जाता है, वहीं पहाड़ी इलाकों में इसे जून से जुलाई के बीच में बोया जाता है।
सेम की तुड़ाई का समय
बुवाई से तीन से चार महीने बाद सेम की फली की तुड़ाई शुरू कर दी जाती है। एक बार तुड़ाई शुरू होने के बाद तीन से चार महीने तक हरी फली की तुड़ाई होती है। अगर इस फली को सामान्य हरी सेम के लिए तोड़ा जाता है तो इन्हें कोमल अवस्था में तोड़ लेना चाहिए जिससे बाजार में उनकी ज्यादा कीमत मिलती है।