आखिर क्यों घड़ियाल और मगरमच्छ के आंसू को झूठा बताया जाता है? जानिए इसके पीछे की असली वजह

आपने कभी ना कभी तो किसी को कहते सुना ही होगा कि अरे ये मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है। हो सकता है आपने किसी टीवी सीरियल में ही सुना हो कि घड़ियाल के आंसू बहा रहा है, लेकिन क्या आपनो कभी इस मशहूर कहावत का मतलब जानने की कोशिश की है।

Why Crocodile Tears Are False
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कई बार हम भी इस कहावत को इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका मतलब काफी कम लोगों को पता है कि आखिर क्यों मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसूओं को झूठा कहा गया है।

इंसानों के आंसू या तो खुशी के हो सकते हैं या फिर गम के, लेकिन मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू दोनों में से किसी भी भावना के नहीं होते। और तो और इनके आंसू प्रोटीम और मिनरल्स से भरे होते हैं।

आम तौर पर जब इंसान या कोई अन्य जानवर रोते हैं या हंसते हैं, तो ये आंसू टियर डक्ट से बाह आते हैं और इनमें प्रोटीन सहित लगभग एक समान कैमिकल्स पाये जाते हैं, लेकिन घड़ियाल या मगरमच्च के मामले में ऐसा नहीं है।

जानकारी के अनुसार इस पर दो वैज्ञानिकों न्यूरोलॉजिस्ट डी मालकॉम शेनर (D Malcolm Shaner) और ज़ूलॉजिस्ट केंट ए व्लीट (Kent A Vliet ने) घड़ियालों और मगरमच्छों पर रिसर्च की थी। उन्होंने अमेरिका के कुछ घड़ियालों को एक सूखे स्थान पर रखा, पानी से दूर। जाहिर है तालाब या नदी के अंदर इनके आंसूओं के बारे में पता लगाना आसान नहीं होता। समतल सतह पर इन घड़ियालों को भोजन दिया गया।

अध्ययन में पाया गया कि जब ये घड़ियाल खाना खाते हैं, तो इनकी आंखों से आंसू निकलते हैं, ना कि रोने पर। साथ ही कुछ बुलबुले भी इनकी आंखों से निकलते हैं। इनके आंसूओं में भरूपर मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं, जिस वजह से मक्खियां इनके आंसू पीती हैं। अगली बार जब आप मगरमच्छ के आंसू की कहावत सुनेंगे या कहेंगे, तो आपको इसका अर्थ पता होगा।

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