यह तो हम सब ही जानते हैं कि फल सेहत के लिए कितने लाभकारी होते हैं। पर बाजार में मिलने सब फल हमे फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसके लिए हमे फलों की सही पहचान होना जरूरी हैं। वो कहते हैं ना कि सभी चमकती चीज सोना नहीं होती। वैसे ही बाज़ारो में मिलने वाले सभी फल फायदेमंद हो, यह जरूरी तो नहीं। फल देखने मे सुंदर है तो वो अच्छे हैं यह जरूरी नहीं। कीमत देखकर भी फल की क्वालिटी का पता नहीं लगाया जा सकता।
आजकल हर मौसम में हर तरह के फल मिलते हैं। और देखने में भी वह कितने सुंदर लगते हैं, क्योंकि इन्हें कार्बाइड से पकाया जाता हैं। केला सेहत के लिए बहुत ही पौष्टिक फल है। दुबले पतले लोगों के लिए और कमजोर बच्चों के लिए तो केला वरदान के समान हैं।
कई तरह के फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता हैं। यदि हम कार्बाइड से पके हुए केले खा रहे हैं तो यह हमारे लिए ज़हर के समान है। आज हम जानेंगे कि कार्बाइड से पके केले खाने से हमे क्या नुकसान होगा और हम इससे कैसे बच सकते हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि कार्बाइड क्या होता हैं? कैल्शियम कार्बाइड एक बहुत ही खतरनाक केमिकल होता हैं। कई बार बाज़ार में फलों की खपत ज्यादा हो जाती हैं। ऐसे में सप्लायर ज्यादा मुनाफे के लिए कच्चे फलों में कार्बाइड का इस्तेमाल करके उन्हें बाज़ार में बेच देते हैं। यह फल एक रात में ही पककर चमकने लगते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड में कैंसर पैदा करने वाले गुण होते हैं। इसमे आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे तत्व होते हैं। जिसके कारण उल्टी, दस्त, छाती या पेट मे जलन, आंखों और त्वचा में जलन जैसी समस्या हो सकती हैं। यह शरीर मे ऑक्सीजन के फ्लो को भी कम करता है। इसके अलावा भी अन्य कई समस्या पैदा करता हैं कार्बाइड से पका केला।
कैसे पहचाने कि केला नेचुरल तरीके से पकाया गया है या कार्बाइड से?
सबसे पहले तो जो केले खुद ब खुद पकते हैं वह हल्के भूरे रंग के होते हैं और उनमें काले धब्बे होते हैं। जबकि कार्बाइड से पका केला पिले रंग का होता हैं। जो केले नैचुरली पकते हैं उनकी डंठल भी काली पड़ जाती हैं। पर कार्बाइड से पके केले की डंठल काली नहीं होती बल्कि हरी होती हैं।