समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका बेहद खास होती है। शिक्षित और ज्ञान से भरी महिलाएं एक बेहतर समाज का निर्माण करती हैं। इसलिए महिलाओं की शिक्षा बहुत जरूरी है। आचार्य चाणक्य का भी यही मानना था। आचार्य चाणक्य कहते थे कि ऐसी महिलाओं की इच्छाएं हमेशी अधूरी रह जाती हैं, जिन्हें दूसरों के ऊपर निर्भर होना पड़ता है।
घर की लड़कियों को शिक्षित करना बेहद जरूरी है, ताकि शादी के बाद उसे अपने पति पर निर्भर ना होना पड़े या जरूरत पड़ने पर उसे किसी की सहायता का इंतजार करना ना पड़े। आचार्य का मानना था कि गृहस्थी के कार्यों के लिए पुरुष के साथ-साथ स्त्री का भी आत्मनिर्भर होना आवश्यक है।
जो महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, उसे अपना अच्छा-बुरा पता होगाय़ उसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये दूसरे की सहायता या मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
परिवार के बच्चे अपना अधिकांश समय परिवार की महिलाओं के साथ व्यतीत करते हैं। ऐसे में वे उन्हें अपने रोल मॉडल के तौर पर देखते हैं। आत्मनिर्भर महिलाएं अपने बच्चों को भी आत्मनिर्भर होने, शिक्षित होने और अपने कार्यों की जिम्मेदारी खुद संभालना के स्कार देंगी, जिससे एक अच्छे समाज का निर्माण होगा।
एक महिला को कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने से उसके चरित्र में दोष आ सकता है। इसलिए जिस तरह आप अपने घर की तिजोरी की हिफाजत करते हैं उसी तरह एक महिला की भी हिफाजत करनी चाहिए। स्त्री के मामले में कभी किसी पर विश्वास न करें।
वर्तमान समय में परिवार, समाज और देश की प्रगति में महिलाओं का सराहनीय योगदान है। वे व्यवसाय, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा में शीर्ष पदों पर काबिज हैं, जिससे दुनिया में उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय है। एक स्वतंत्र महिला का अपना लक्ष्य होगा।
गौरतलब है कि समाज के कई हिस्सों में लड़कियों और महिलाओं को बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा है। उसे लैंगिक रूढ़ियों और लैंगिक पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में एक लड़की के लिए स्वतंत्र होना निस्संदेह कठिन है। हालांकि, स्वतंत्र होने की इच्छा रखने वाली महिलाएँ अपनी आंतरिक इच्छा शक्ति का उपयोग करके कई संभावनाएं पैदा करती हैं।