भारत में आए दिन ज़मीन जायदात का झगड़ा होना आम बात है। ये परेशानी केवल एक घर की नहीं बल्कि हर दूसरे तीसरे घर की है। भारत संयुक्त परिवार की संस्कृति के लिए जाना जाता था, लेकिन अब लोग छोटे परविार में अधिक दिचचस्पी दिखाते हैं।
पैतृक संपत्ति को लेकर कई बार झगड़े होते हैं और अक्सर हमे ये भी सुनने को मिलता है की की बाप, दादा या भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से मना कर रहा है। हालांकि अगर आपके साथ कुछ ऐसी घटना हो तो आप कुछ नियम का पालन कर अपनी पैतृक संपत्ति में हक मांग सकते हैं।
दो तरह की होती हैं संपत्ति
भारत में दो तरीके की संपत्ति होती है। पहली पैतृक संपत्ति जो आपके बाप और दादा की होती है तो वहीं दूसरी जो आप की खुद की कमाई हुई होती है। यदि आपकी पैतृक संपत्ति में आपको हक नहीं मिल रहा है तो आप अपना दावा पेश करते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर सकते हैं।
करना होगा ये काम
विचारधीन होने के बाद संपत्ति को बेचा न जाए तो ऐसे में आप कोर्ट से रोक लगाने की मांग कर सकते हैं। अगर आप की मर्ज़ी के बिना ही पोप्रर्टी बेच दी गई है तो आपको उस खरीदार को केस में पार्टी के तौर पर जोड़कर अपने हिस्सा का दावा ठोकना होगा।
पैतृक पोप्रर्टी में बेटियों को कितना हक?
हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 के तहत पैतृक संपत्ति नें बेटियों का हक बेटों की तुलना में बराबर का दिया गया है। हालांकि परिवार में केवल पुरुषों को ही उत्तारधिकारी का दर्जा दिया हुआ है। वहीं बेटियों को भी उत्तराधिकारी का दर्जा देने ते लिए 1956 प्रावधान 6 में संशोधन किया जा चुका है।