Property Purchase Limit: आज के समय में लोग एक से ज्यादा जमीन खरीदकर अपनी प्रॉपर्टी बढ़ाने में लगे हुए हैं। एक के बाद एक लोग जमीन खरीद रहे हैं और अपनी नेटवर्थ बढ़ाना बहुत से लोगों को पसंद आता है। ज्यादातर भारतीय का अपने पैसों का निवेश अलग-अलग जगहों पर करता है। अक्सर लोग जमीन और सोने पर अपना पैसा निवेश करते हैं। अगर आप भी अपने पैसों का निवेश जमीन खरीदने के लिए करना चाहते हैं तो थोड़ा रुक जाएं.
भारत में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा अलग-अलग राज्यों पर निर्भर करती है और पूरे देश में एक-सा कानून नहीं है। लेकिन अब अधिकांश राज्यों में इस पर लिमिट लगा दी गई है। गैर-कृषि योग्य भूमि के बारे में ऐसा कोई नियम देखने को नहीं मिलता। लेकिन अब सरकार ने जमीन खरीदने पर लिमिट लगा दी है, चलिए आपको हम इसी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
जमीन खरीदने पर लगा दी गई लिमिट (Property Purchase Limit)
भारत में जमींदारी प्रथा को खत्म करने के बाद कई तरह के बदलाव हुए हैं। कुछ बदलाव राष्ट्रीय स्तर पर किये गए हैं तो कुछ का अधिकार राज्यों के हाथ सौंपा गया है। इसलिए हर राज्य में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा भी अलग-अलग होती है। इसके अलावा यह भी राज्य तय करता है कि कृषि योग्य जमीन कौन खरीद सकता है। केरल में भूमि संशोधन अधिनियम 1963 के तहत एक गैर-विवाहित व्यक्ति केवल 7.5 एकड़ तक जमीन ही खरीद सकता है। वहीं 5 सदस्यों वाला परिवार 15 एकड़ तक जमीन खरीद सकता है।
महाराष्ट्र में खेती योग्य भूमि केवल वही खरीदेगा जो पहले से खेती में है। यहां अधिकतम सीमा 54 एकड़ की है। पश्चिम बंगाल में अधिकतम 24.5 एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है। हिमाचल प्रदेश में 32 एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है। कर्नाटक में भी 54 एकड़ जमीन खरीद सकते हैं और यहां भी महाराष्ट्र वाला नियम लागू है। उत्तर प्रदेश में अधिकतम 12.5 एकड़ खेती योग्य जमीन एक व्यक्ति खरीद सकता है।
बिहार में खेती या गैर-खेती योग्य जमीन 15 एकड़ तक ही खरीदी जा सकती है। गुजरात में कृषि योग्य जमीन को केवल उस पेशे में लगे लोग ही खरीद सकते हैं। एनआरआई या ओवरसीज सिटीजन भारत में खेती योग्य जमीन खरीद ही नहीं सकते हैं। वह फार्म हाउस या प्लाटेंशन प्रॉपर्टी भी नहीं खरीद सकते। हालांकि अगर विरासत में उन्हें कोई जमीन देना चाहे तो दे सकता है।