आपने कुछ ऐसे लोगों को देखा होगा, जिनकी 5 से अधिक उंगलियां होती है। इस बारे में बहुत ही सामाजिक और सांस्कृतिक धारणाएं भी हैं। ऐसा माना जाता है जब जन्मजात विकृतियाँ सामने आती हैं या कोई दैवीय प्रकोप होता है या फिर सौभाग्य और आशीर्वाद आता है, तो हाथ या पैर में पांच से ज्यादा उंगलियां पाई जाती हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का इस पर विचार कुछ अलग है।
इसे लेकर आपके मन में भी तरह-तरह के सवाल आए होंगे, लेकिन शायद ही आपको इसका उत्तर मिला होगा। तो चलिए अब हम जानते हैं कि शोधकर्ताओं द्वारा शोध किए जाने के बाद इसका परिणाम क्या निकला है।
शोधकर्ताओं ने की पहचान
शोधकर्ताओं ने एक दुर्लभ विकार की पहचान की है, जिस वजह से बच्चों के हाथ पैर में अतिरिक्त उंगलियां पैदा होती हैं और कई बार बच्चे कई तरह के दोषों साथ भी पैदा होते हैं। इस विकार को अभी तक शोधकर्ताओं की तरफ से कोई भी नाम नहीं दिया गया है। लेकिन शोध में ये जानकारी मिली है कि ये मैक्स(MAX)नाम के जीन में अनुवांशिक उत्परिवर्तन (Mutation) की वजह से होता है।
ऑटिज्म का लक्षण
ब्रिटेन यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीड्स मे शोध कर रहे शोधकर्ताओं की एक टीम को ये जानकारी मिली है कि अतिरिक्त उंगलियां यानी पॉलीडैक्टाइली मस्तिष्क विकार से संबंधित ऑटिज्म जैसे कई लक्षणों को भी जन्म देती है। शोधकर्ता ये दावा कर रहे हैं कि पहली बार इस अनुवांशिक लिंक की पहचान की जा सकी है, जिसमें एक अणु पाया गया है, जिसका उपयोग कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के इलाज और उनकी स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए किया जा सकता है। हालांकि अभी इस अणु का परीक्षण करना और इस पर ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है, उसके बाद ही कोई रिजल्ट निकाला जा सकेगा।
तीन व्यक्तियों पर केंद्रित था नए शोध
शोधकर्ताओं द्वारा किया गया ये शोध अमेरिका के जर्नल ऑफ़ ह्यूमन जेनेटिक्स में पब्लिश किया गया है। ये रिसर्च तीन व्यक्तियों पर केंद्रित था, इन व्यक्तियों में शारीरिक लक्षणों का एक दुर्लभ संयोग पाया गया, जिसमें शामिल थे अतिरिक्त उंगलियां और सर की परिधि का बड़ा होना, जिसे मैक्रोसेफली कहा जाता है। ऐसे लोगों में कुछ अन्य लक्षण भी समान थे, जैसे कि उनकी आंखों का विकास देर से हुआ, जिसके परिणाम स्वरुप शुरुआत से ही उन्हें दृष्टि संबंधित समस्याएं थी।
अध्ययन में सामने आए ये परिणाम
शोधकर्ताओं की तरफ से इन लोगों के डीएनए का तुलनात्मक अध्ययन किया गया और ये पाया कि उन सभी में साझा अनुवांशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) है जो जन्मजात दोषों और विकारों का कारण बनता है।
डीआर जेम्स पोल्टर का कहना है कि इस समय इन रोगियों का कोई सटीक इलाज नहीं है। किया गया शोध दुर्लभ स्थितियां को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है और साथ ही इसके जरिए इलाज की संभावित तरीके की पहचान की जा सकती है। इस संबंध में एक ऐसी दवा भी मिली है, जिससे विकारों का परीक्षण किया जा सकता है, यानि अब रोगियों को तेजी से ट्रैक किया जा सकेगा और अगर इसका पता चलता है, तो दवा के जरिए म्यूटेशन के कुछ प्रभावों को पलटा जा सकता है।