Indian Railway Ticket Rule: भारतीय रेलवे में हर दिन हजारों लोग ट्रैवेल करते हैं। हर दिन रेलवे को लाखों का फायदा होता है क्योंकि लोग रेलवे का टिकट खरीदते हैं। इसके अलावा बिना टिकट के जो लोग ट्रैवेल करते हैं उनसे TTE चालान काटते हैं वो पैसा भी भारतीय रेलवे के खाते में जाता है। भारतीय रेलवे जहां लोगों के सफर को आसान और सस्ता बनाता है वहीं अगर कोई बिना टिकट के ट्रेन में सफर करता है तो रेलवे उन्हें दंड भी देता है। कई बार इमरजेंसी में टिकट कंफर्म नहीं होता है तो लोग बिना टिकट ट्रेन में बैठ जाते हैं और फिर उन्हें दंड दिया जाता है।
भारतीय रेलवे ट्रेन में सफर के लिए महीनों पहले टिकट बुक करा लेते हैं जिससे उन्हें कंफर्म टिकट मिल जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि कंफर्म टिकट ना मिलने पर इसकी सजा भी यात्रियों को भुगतनी पड़ती है। रेलवे आपकी यात्रा को सुविधाजन बनाने के साथ-साथ रेलवे के नियम ना तोड़ने की नसीहत भी देता है। चलिए आपको बताते हैं कि भारतीय रेलवे का टिकट को लेकर क्या नियम है जिससे यात्रियों को ऐसा करने का अंजाम पता हो और वो ऐसी गलती ना करें।
बिना टिकट के सफर करने पर रेलवे का क्या रूल है? (Indian Railway Ticket Rule)
भारतीय रेलवे यात्रियों की यात्रा को सुविधा करने के लिए हर दिन कोई ना कोई तरकीब निकालता है। ऐसे में कई सारे ऐसे नियम भी हैं जो यात्रियों के ऊपर भारी भी पढ़ जाता है। अगर आप जनरल टिकट लेकर स्लीपर में यात्रा करने लगते हैं तो इसके लिए भी कुछ शर्तें भारतीय रेलवे ने रखी हैं। सेकेंड क्लास ट्रेन टिरट की वैधता रेलवे टिकट, 1989 के तहत आती है।
भारतीय रेलवे के नियम के अनुसार, अगर यात्रा की दूरी 199 किमी या उससे भी कम है तो टिकट की वैधता 3 घंटे तक रहती है। एक्ट के मुताबिक, अगर आपके पास सेकेंड क्लास का टिकट है और जनरल कोच में पैर रखने की भी जगह ना हो तो आपको अगली ट्रेन का इंतजार करना चाहिए नहीं तो TTE आपके ऊपर फाइन लगा सकता है।
अगर आप जनरल का टिकट लेकर स्लीपर कोच में बैठ जाते हैं तो आपको 250 से 500 रुपये तक का फाइन देना होगा। वहीं अगर आप बिना टिकट सफर करते हैं तो 500 से 1000 रुपये तक जुर्माना देना होगा और साथ ही आपको कुछ महीने की जेल भी हो सकती है। हालांकि जेल वाली सजा आपकी सिचुएशन पर निर्धारित होगी। अगर कोई सीट खाली है तो टीटीई यात्रा की दोनों श्रेणियों के टिकट के बीच के अंतर को देखेगा और आप सीट के पैसे देकर वो ले सकते हैं लेकिन इसके लिए ईमानदारी से आपको टीटीई से बात करनी चाहिए।