बदलते समय के साथ लोगों के रहन सहन के साथ-साथ उनके मानसिक स्तर में भी तेजी से बदलाव आया है। आम तौर पर लोगों में पेशेंस की बहुत ज्यादा कमी देखी जा रही है। चाणक्य जिन्हें कुटिल नीति का ज्ञाता माना जाता है, उन्होंने अपने नीति शास्त्र के जरिये एक बेहतर जीवन साथी के चुनाव के बारे में भी बताया है।
वे अपने ज्ञान के जरिये आधुनिक युग में आज भी लोगों के बीच उपस्थित है। आइये इस ब्लॉग में हम बात करते है कि श्री चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में एक बेहतर जीवन साथी चुनने के लिए क्या-क्या सुझाव दिए है जिससे आप अपने आगे आने वाले जीवन में खुशहाली ला सकते हैं। इसके साथ ही अपनी जिंदगी को बर्बाद होने से बचा सके।
आज कल लोगों ने विवाह जैसे पवित्र को भी एक मजाक बना कर रख दिया है। कई बार गलतियां दोनों तरफ से होती हैं, जबकि कई बार किसी एक की गलती के कारण रिश्ते टूट जाते हैं तो ऐसे रिश्तों में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को हर कसौटी पर रख कर जाँच लें।
आचार्य चाणक्य का मुख्य नाम कौटिल्य और विष्णुगुप्त भी था। नीति शास्त्र के जरिये इन्होंने प्रेम, रिश्ते, व्यापार, शिक्षा, अदि के बारे में बताया है कि कैसे इनको पालन करके इंसान अपने जीवन में खुशियों की बहार ला सकता है। साथ ही आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी भी बातें बताई है जो इंसान को विवाह बंधन में बंधने से पहले ही अपने जीवनसाथी को परखा जा सकता है।
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।
इस श्लोक के द्वारा के माध्यम से चाणक्य ने जीवनसाथी में धर्म, धैर्य, संस्कार, संतोष, क्रोध और मधुर वाणी को परखने की बातें कही हैं। वो कहते हैं कि अगर इंसान धर्म और कर्म को अपने जीवन में महत्व देता है तो उसका असर उसके जीवन में धैर्य और संस्कार के रूप में जरूर दिखता है। इसके अलावा जिन लोगों के जीवन में धर्म का स्थान है तो उनके लिए परिवार और समाज सर्वोपरि होता है। वो कभी भी गलत कदम नहीं उठाते है और हर काम को करने से पहले सौ बार सोचते हैं।
जिन व्यक्तियों में धैर्य और संयम की कमी होती है उनका स्वभाव गुस्से में बहुत ही हिंसक प्रवृत्ति का हो जाता है और वो अपना आपा खो बैठते हैं। जिससे आपका वैवाहिक जीवन पूरे तरीके से तहस नहस हो जाता है। इसलिए विवाह के पहले परिपूर्ण तरीके से अपने जीवनसाथी के स्वाभाव को परख लें कि कहीं उसमें धैर्य की कमी तो नहीं। और अगर उन्हें हर छोटी बात पर गुस्सा या नाराजगी रहती है बंधन में बंधने से पहले स्वविवेक से निर्णय लें।