Chanakya Niti: दुनिया में बहुत सारे लोग खुश नहीं है, क्योंकि उन सभी के जीवन में कई तरह की समस्याएं हैं। वो चाहकर भी जिंदगी में खुश नहीं रह पाते हैं। आचार्य चाणक्य अपनी नीति में पहले ही बता चुके हैं कि किस तरह के मनुष्य जीवन में कभी भी खुश नहीं रह पाते हैं।
जो लोग खुश नहीं रहते हैं वो जीवन में चाहकर भी तरक्की नहीं कर पाते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में कई तरह के लोगों का जिक्र किया है जिसमे उन्होंने बताया है कि कौन-कौन व्यक्ति किस वजह से जीवन में हमेशा दुखी रहता है। उस निराशा की वजह से वो चाहकर भी कभी सफल नहीं हो पाते हैं।
1. जिस व्यक्ति का बेटा नालायक हो
दुनिया का कोई भी माता-पिता नहीं चाहता है कि उसका बेटा नालायक निकले, क्योंकि इसकी वजह से उन्हें जीवन भर परेशान रहना पड़ता है। इसके बारे में आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कह चुके हैं कि जिस शख्स का बेटा नालायक या कपूत निकल जाता है उन्हें जिंदगी में हमेशा दुखी रहना पड़ता है। क्योंकि नालायक पुत्र अपने कामों की वजह से घर तथा आस-पास के सभी लोगों के लिए परेशानी खड़ा करता है, इस वजह से हर कोई उससे नफरत करने लगता है जिसका कष्ट सबसे ज्यादा उसके माता-पिता को उठाना पड़ता है। ऐसे में वो अपने महत्वपूर्ण कामों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं जिस वजह से वो जिंदगी में चाहकर भी तरक्की नहीं कर पाते हैं।
2. जिस शख्स का पिता ऋणी हो
इस धरती पर ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो ऋण यानी कर्ज की वजह से परेशान है, क्योंकि वो चाहकर भी ऋण से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। आचार्य चाणक्य इसके बारे में कहते हैं कि जिस शख्स का पिता ऋणी हो वो जीवन भर खुश नहीं रह पाते हैं, क्योंकि वो हमेशा अपने पिता का कर्ज उतारने में लगा रहता है। इस वजह से वो अपनी जिंदगी में कभी तरक्की नहीं कर पाता है। यही कारण है कि चाणक्य ने ऋणी पिता को अपने बेटे का शत्रु बताया है।
3. जिस व्यक्ति की मां असभ्य हो
असभ्य महिलाएं को समाज में कभी मान-समान नहीं मिलता है, क्योंकि वो हर किसी से बुरा आचरण करती है। इस वजह से उन्हें कोई पसंद नहीं करता है। आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि जो महिलाएं लोगों से बुरा आचरण करती है वो अपने पुत्र के साथ-साथ परिवार के लिए दुश्मन की तरह होती है, क्योंकि उनकी वजह से उसके पुत्र और परिवार को भी कहीं इज्जत नहीं मिलती है। ऐसे में उनका परिवार और पुत्र चिंतित रहता है जिस वजह से वो अपनी तरक्की नहीं कर पाते हैं, क्योंकि वो अपने काम पर सही से ध्यान नहीं दे पाते हैं।