आपने तीन नदियों के संगम के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी पांच नदियों के संगम के बारे में सुना है? आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं जहा एक नहीं, दो नहीं, तीन नही बल्कि पांच नदियों का संगम होता है। तीन नदियों के संगम को त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है, जो प्रयागराज अलाहाबाद में है और धार्मिक दृष्टि से इसे बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
पंचनद नदी की यह पावन धारा उत्तर प्रदेश में जालौन और इटावा के सीमा पर प्रकृति का अनूठा उपहार है। पांच नदियों का यह संगम उत्तर प्रदेश में इटावा जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बिठौली गांव में है। यहां पर पूरे साल में केवल एक बार, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगता है जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हैं।
इस स्थान पर होता है 5 नदियों का संगम
सारे विश्व में इटावा का पंचनद ही एक ऐसा स्थल है, जहां पर पाचं नदियों का दुर्लभ संगम होता हैं, ये नदियां हैं यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज। यह स्थान महाभारत काल से जुड़ा माना जाता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञात काल में यहां पर काफी समय बिताया था।
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। इसी स्थान पर वाल्मीकि ने रामायण और तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना भी की थी।
हालांकि, आश्चर्य की बात तो यह है कि पांच नदियों के इस संगम को जिसे पंचनद कहा जाता है, त्रिवेणी के जैसा महत्व नही मिला है। वैसे तो भारत को धार्मिक परंपराओं और ऋषि मुनियों का देश कहा जाता है और ऐसे ही एक ऋषि से जुड़ी कहानी इस पंचनद नदी के इतिहास का बखान करती है।
यहां के एक तपस्वी ऋषि की कहानी कुछ ऐसी थी कि खुद तुलसीदास को उनकी ख्याति के चलते अग्नि परीक्षा लेनी पड़ी। मान्यता है कि जब तुलसीदास जी को प्यास लगी तो उन्होंने किसी को पानी पिलाने के लिए आवाज़ दी। उस समय ऋषि मुचकुंद ने अपने कमंडल से कभी न खत्म होने वाला पानी छोड़ा और फिर तुलसीदास जी को उनके इस तेज़ को मानना पड़ा।