भारतीय ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि किसी कार्य विशेष को आरंभ करने के लिए मुहूर्त व समय की जानकारी से इच्छित फल प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। वास्तु के नियमों के अनुसार कार्य निष्पादित करने से कार्य में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और सफलता प्राप्त होती है।
इसी संदर्भ में आज हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं। सोमवार व शनिवार के विशेष दिन की यात्रा व दिशाशूल के विषय में, साथ यह भी बताएंगे कि अपरिहार्य स्थिति में क्या उपाय व बचाव करें। ताकि आपको किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो।
क्या है दिशाशूल?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में दिशाशूल एक अशुभ योग है। अतः इस योग में विशेष दिशा में यात्रा करना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। शूल यानि कष्टकारी बाण अर्थात जिस दिन विशेष में दिशाशूल लगा होता है, उस दिन उस दिशा की यात्रा कदापि नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से काम बनने की बजाए बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
अतः ज्योतिष नियमों के अनुसार किसी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर जाने से पूर्व जिस दिन व दिशा में जाना है, उसका शूल अवश्य देख लें, ऐसा करना इच्छित कार्य में सफलता दिलाता है साथ ही आप अपने काम को बिगड़ने से बचा सकते हैं। भारतीय ज्योतिष में यात्रा से लौट आने के बाद दिशाशूल देखना अनुचित माना गया है।
सोमवार शनिवार के दिन वर्जित दिशा
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सोमवार व शनिवार के दिन पूर्व दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इस दिन इस दिशा में दिशाशूल का मान होता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जिस कार्य के लिए आप घर से बाहर जा रहे हैं, उसमें सफलता नहीं मिलेगी या उसमें विविध बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
दिशाशूल से बचने के उपाय क्या है?
यदि सोमवार या शनिवार के दिन आपको किसी अपरिहार्य कारण से पूर्व दिशा में घर से बाहर जाना ही पड़ जाए तो ज्योतिष शास्त्र में यह उपाय बताया गया है कि घर से बाहर निकलने से पूर्व आईने में स्वयं को देख लेना चाहिए। ऐसा करने से उस दिशा विशेष के शूल के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है।