महिला हो या पुरुष , विवाह के बाद जीवन के सबसे अहम रिश्ते में बंध जाते हैं दोनों। एक दूसरे के भरोसे की नींव पर टिका यह रिश्ता तब तक नहीं दरकता जब तक परस्पर तालमेल और सूझबूझ कायम रहती है। आज की व्यस्त जिंदगी में हम अपनी महत्वाकांक्षा के लिए रिश्ते और भावनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। धीरे-धीरे जब संबंधों में खटास आने लगती है तो रिश्ते हाथ से छूटने लगते हैं और कभी-कभी संभलने में बहुत देर हो जाती है।
आचार्य चाणक्य ने पति पत्नी के रिश्ते के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें कही है जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि कब किसी महिला को उसका पति ही उसका सबसे बड़ा शत्रु लगने लगता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि पति अपनी पत्नी की मन: स्थिति से अनभिज्ञ रहता है।
कैसे बिगड़ता है आपसी संतुलन
आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि कोई विवाहित स्त्री पर- पुरुष से संबंध रखती है और उसके इस कृत्य की जानकारी पति को हो जाती है तो स्वाभाविक रूप से वह इसका विरोध करेगा। ऐसी स्थिति में उस महिला को उसका पति ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन लगने लगता है। इस प्रकार आपसी संतुलन बिगड़ने के कारण वैवाहिक में जीवन कटुता आ जाती है।
आचार्य चाणक्य अपनी एक अन्य उक्ति का विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि यदि पति-पत्नी में से कोई भी गलत या अनैतिक कृत्यों में लिप्त है तो दूसरे पर इसका असर अवश्य होता है और आपकी संतुलन बिगड़ने लगता है।
तीसरे महत्वपूर्ण कथन में आचार्य चाणक्य ने स्पष्ट किया है कि जब पति पत्नी के रिश्ते के बीच पैसा अहम हो जाता है अर्थात् वह अपने साथी से ज्यादा पैसे को महत्व देने लगता है तो ऐसी स्थिति में गलत रास्ते पर कदम बढ़ने लगते हैं। ऐसी मनोभावना वाला व्यक्ति हर उस व्यक्ति को अपना दुश्मन मान लेता है जो उसे गलत करने से रोकता या टोकता है।
इस प्रकार आचार्य चाणक्य ने विवाहित महिला और पुरुषों को उपरोक्त तीनों स्थितियों से सावधान रहने की सलाह दी है। अगर वो ऐसी स्थिति में सावधान नहीं रहते हैं तो उनका रिश्ता कभी भी टूट सकता है, इस वजह से हर पुरुष को सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि उनका रिश्ता हमेशा बना रहे।