Chanakya Niti: महान रणनीतिकार आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र के माध्यम से जनकल्याण हेतु कई महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया है, जिनका अनुसरण अगर कोई व्यक्ति कर ले, तो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने जीवन के हर पड़ाव के लिये अपनी नीतियों का उल्लेख किया है। चाहे वो विद्यार्थी हो, महिला हो या फिर कोई वयस्क व्यक्ति, आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से सभी का अपनी नीतियों से मार्गदर्शन किया है।
इंसान जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिये संघर्ष करता है, लेकिन कई बार अज्ञानता के कारण वह विफल हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने ऐसी कई चीजों का उल्लेख किया है, जिसकी वजह से व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता। इसी तरह उन्होंने एक श्लोक ये भी लिखा…
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्।
जनो दहति संसर्गाद् वनं सगविवर्जनात॥
इस श्लोक के जरिये आचार्य चाणक्य बताना चाहते हैं कि इंसान को अगर अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, तो सर्वप्रथम उसे अपने मन यानी कि चित्त पर नियंत्रण पाने की जरूरत है। इंसान का मन उसे लक्ष्य से विचलित करता है।
कई बार अपने मन की सुन कर व्यक्ति लक्ष्य को छोड़ किसी और मार्ग पर निकल पड़ता है, लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर हम अपने मन पर ही नियंत्रण कर लें, तो हम ये गलती करने से बच सकते हैं और फिर कोई भी हमें हमारा लक्ष्य पाने या सफल होने से नहीं रोक पायेगा।
मन हमें भावनाओं के घेरे में डाल देता है और भावनाओं के जकड़े जाने पर भी हम कई बार लक्ष्य से भटक जाते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमें भावनाओं पर विजय पाने की आवश्यकता है और दृढ़ निश्चय ही इसका एक मात्र तरीका है। भावनाएं हमें सही और गलत में पहचान नहीं करने देती और अक्सर हम गलतियां कर बैठते हैं।
इसके साथ ही आचार्य चाणक्य का कहना है कि दूसरों की चीजों और उनके सुख पर नजर डालना भी गलत है। ऐसा करके हम अपने जीवन के लक्ष्य को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन मन पर काबू पाकर हम इन गलतिओं से बच सकते हैं।