Wheat Rate 2023: देश के गरीब किसानों की चमकी किस्मत, गेहूं के कीमत में आई तेजी से उछाल, जानें इसकी नई कीमत

Wheat Rate 2023: गेहूं के दामों में आसमान छूने वाली बढ़ोत्तरी ने देश के किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है, जबकि आम आदमी को एक बार फिर झटका लगने वाला है। हालांकि, सरकार गरीबों के लिये अन्न कल्यान योजना को भी बढ़ावा दे रही है।

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वहीं, गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के साथ, सरकार कीमतों को कम करने के प्रयास में खुले बाजार में गेहूं बेचने पर विचार कर सकती है। सूत्रों ने सीएनबीसी आवाज़ को बताया कि दिल्ली के बाजारों में गेहूं की कीमतें 2,915 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, केंद्र सरकार कीमतों को कम करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं बेचेगी।

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, गेहूं किसानों ने निर्यातकों को बेचना अधिक लाभदायक पाया है, क्योंकि आपूर्ति की स्थिति खराब बनी हुई है। गर्मी के महीनों में हीटवेव के कारण, सरकार पिछले वर्ष के 43.3 मिलियन टन की तुलना में केवल 18.7 मिलियन टन ही खरीद पाई थी।

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का मतलब यह भी था कि निर्यात प्रतिबंध लागू होने से पहले भारतीय गेहूं की वैश्विक बाजारों में अधिक मांग थी, जिससे कीमत पर आपूर्ति पक्ष का दबाव और बढ़ गया। जबकि सरकार अभी भी गेहूं के अपने बफर स्टॉक को बनाए रखने में सक्षम थी। अक्टूबर 2022 में पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं का केंद्रीय स्टॉक आधे से भी कम हो गया था।

सूत्रों ने सीएनबीसी आवाज को बताया कि सरकार को सर्दियों के मौसम में अच्छी फसल की उम्मीद के साथ, एफसीआई खुले बाजार योजना के माध्यम से छोटे व्यापारियों को 2,250 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर अनाज बेचकर गेहूं की बिक्री कर सकता है।

सरकार ने पहले सुझाव दिया था कि वह सर्दियों के मौसम में बेहतर फसल के कारण दिसंबर में आसान खरीद के बाद जनवरी में गेहूं की बिक्री शुरू करेगी।

इस बीच  नये साल के बाद अब गेहूं की आवक में फिलहाल काफी समय है। इसे शुरू होने में और तीन महीने का समय लगेगा। ऐसे में हैफेड के माध्यम से बिक्री की निलामी भी निकाल दी गई है। अब जो माल 2,650 से लेकर 2700 रुपये बेचा जा रहा था, वह अब 68 हजार मीट्रिक टन है।

वहीं, फ्लोर मीलों में जाने के बाद गेहूं की कीमतों में वृद्धि हो रही है। जनवरी से नई फसल आने तक 20 लाख मीट्रिक टन प्रति माह बेचने की बात कही गयी है, लेकिन इसके लिये सरकार ने काफी कम कीमत तय की है।

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