भारतीय रेल हर किसी के सफर करने के लिए बहुत ही अच्छा साधन हैं। इसमे हर तरह के व्यक्ति के लिए अलग अलग सुविधाएं उपलब्ध हैं। जनरल, थ्री टियर ऐसी, टू टियर ऐसी, फर्स्ट क्लास ऐसी और स्लीपर क्लास के कोच, जिनमे लोग अपनी हैसियत के हिसाब से सफर तय कर सकते हैं।
ट्रेन हमारे सफर को आरामदायक तो बनाती ही है, साथ ही इसे रोमांचक भी बना देती है। ट्रेन में यात्रा तो लगभग सभी प्रकार के लोग करते हैं पर ऐसी बहुत सी बातें हैं जिनकी जानकारी हर किसी को नहीं होती। हर रोज ट्रन के कुछ ऐसे तथ्य हमारे सामने आते हैं, जिसे जानकर सबको बड़ी हैरानी होती है।
किसी भी गाड़ी को चलाने के लिए पहिए की जरूरत होती है, क्योंकि बिना चक्के के तो कोई भी गाड़ी नहीं चलाई जा सकती हैं। एक छोटी गाड़ी के एक पहिए का वजन लगभग छः से नौ किलो तक होता हैं। जैसे जैसे गाड़ी की साइज बढ़ते जाती हैं वैसे वैसे उसके पहिए का वजन भी बढ़ता जाता है। अब चलते हैं ट्रन की ओर।
ट्रेन को तेज रफ्तार देने का काम करते हैं इनके भारी भरकम पहिए। क्या आपने कभी सोचा हैं कि यह ट्रेन जो इतने लोगों का भार उठाती हैं, जिसके पहिए लोहे के बने होते हैं, उस ट्रैन के एक पहिए का वजन कितना होता होगा? चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से……
ट्रेन के एक पहिया का वजन कितना होता है?
हर ट्रेन में लगाये जाने वाले पहियों का वजन अलग अलग होता है। यहा तक कि ट्रैन के डिब्बों और ट्रेन के इंजन में लगे हुए पहियों का वजन भी अलग अलग होता हैं। एक पैसेंजर ट्रेन के डिब्बो में लगने वाले एक पहिए का वजन लगभग 384 किलो के आस पास होता हैं और डीजल इंजन में लगने वाले एक पहिये का वजन लगभग 528 किलो होता हैं। है ना चौंकाने वाली जानकारी। वहीं एक मालगाड़ी में लगाये जाने वाले एक पहिये का वजन लगभग 484 किलो के आस पास होता हैं। एक LHB कोच के एक पहिये का वजन लगभग 326 किलो होता है।