जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे दोस्तों गर्मियों का सीजन सब के पसीने छुड़ाने आ चुका है। गर्मियों में कोई हमें सबसे ज्यादा सुकून देता है तो वह है AC। जैसे ही गर्मियां बढ़ती है सबके घरों में ऐसी चलने लगती है। यह एसी गर्मियों के दिनों में जब लोग थक हार कर घर आते हैं तब उन्हें सुकून पहुंचाती है। यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि ऐसी बहुत ही काम की चीज है तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें।

यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि एसी घर से लेकर बड़े-बड़े सिनेमा हॉल, हॉस्पिटल, ऑफिस, ट्रेन इत्यादि सब में लगी होती है। तो क्या छोटे से लेकर बड़े जगहों पर लगने वाली यह AC एक जैसी ही होती है? इस सवाल का जवाब होगा नहीं। छोटे से लेकर बड़े जगहों तक लगने वाली एसी का टन अलग-अलग होता है तो चलिए इन सवालों के बारे में जानते हैं।
ट्रेन में कितने टन की एसी लगी होती है?
बात करें घर में लगने वाली एसी की तो वो लगभग 2 टन की होती है। ठीक इसी तरह सिनेमाघरों, हॉस्पिटल और ऑफिस इत्यादि में लगने वाली एसी का टन अलग होता है। इसके अलावा ट्रेन में लगी हुई एसी का टन भी अलग होता है। आज हम आपको अपने इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि ट्रेन में लगी हुई एसी का टन कितना होता है। अधिकतर लोग इस सवाल का जवाब देने में असमर्थ होंगे कि ट्रेन में लगी एसी का टन कितना होगा? तो आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब।
रेलवे अधिकारियों ने दिया इस सवाल का जवाब
ट्रेन के एसी कोच में कितने टन का एसी लगा होता है? इस सवाल का जवाब देते हुए रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन के एसी कोच में कितने टन की एसी लगेगी। इसका कोई पैमाना तय नहीं है। रेलवे अधिकारियों ने आगे बताया कि ट्रेन के एसी कोच में कितने टन की एसी लगेगी।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोच की साइज क्या है और उस में बैठने वाले यात्रियों की संख्या कितनी है? इसी दो मापदंडों के अनुसार एसी का टन तय किया जाता है। जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे हमारे यहां के ट्रेनों में दो तरह की एसी कोच का इस्तेमाल किया जाता है। पहला ICF और दूसरा LHB।
ICF
ICF कोच की बात करें तो इस का फुल फॉर्म इंटीग्रल कोच फैक्ट्री है। इसका जो फर्स्ट क्लास एसी कोच होता है उसमें लोगों की संख्या ज्यादा नहीं होती है। वहीं इसके केबिन भी छोटे-छोटे होते हैं। इसलिए इस तरह के कोच में 6.7 टन की एसी का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इसके सेकंड क्लास एसी कोच में केबिन बड़ी होती है और यात्रियों की संख्या भी ज्यादा होती है, इसलिए इस कोच के सेकंड क्लास बोगी में 5.2 टन की दो एसी लगाई जाती है। ICF के थर्ड एसी कोच की बात करें तो इस कोच में कुल 72 सीटें होती हैं जो बहुत ही ज्यादा होती है। इसलिए इस कोच में 7-7 टन के 2 एसी लगवाई जाती है।
LHB
LHB की बात करें तो इसका फुल फॉर्म हाॅफमैन बुश कोच होता हैं। LHB डिब्बों का इस्तेमाल शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी तेजी से दौड़ने वाली ट्रेनों में किया जाता है। LHB में आईसीएफ के मुकाबले ज्यादा बेहतर कूलिंग सिस्टम है। LHB डिब्बों पर गाड़ी की स्पीड का भी कोई असर नहीं पड़ता है। LHB डब्बों में 7-7 टन के दो एसी लगाए जाते हैं। जो पूरी कोच को बेहतरीन तरीके से ठंडा रखता है।
IFC और LHB में अंतर क्या है?
IFC और LHB में अंतर की बात करें तो दोनों एक कंपनी है। IFC अभी तक का देश का सबसे पुराना रेलवे कोच बनाने वाली कंपनी है। वहीं LHB इसके मुकाबले नया और आधुनिक भी है। यही वजह है कि LHB का इस्तेमाल सुपर स्पीड में चलने वाली ट्रेनों में किया जाता है।