भारतीय सेना के कुत्ते जब रिटायरमेंट हो जाते हैं तब उसके साथ क्या किया जाता है? क्या सच में उसे गोली मार दी जाती है? जानें पूरी सच्चाई

कुत्तों को इंसानों का सबसे वफादार साथी कहा जाता है। आप अगर एक कुत्ते को आज एक रोटी खिलाते हैं, तो वो आपको सालों तक याद रखेगा और आपके सामने आते ही पूंछ को जोर-जोर से हिलाना उसकी उसी ईमानदारी का सबूत है। कुत्तों की वफादारी और ऑउसकी खासियत ही है, जिस वजह से भारतीय सेना में भी इनकी भागीदारी अहम है। ये बड़े से बड़े मामले को सुलझाने में पुलिस और आर्मी के जवानों की मदद करते हैं।

Indian Army Dog
WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

कुत्तों को लेकर एक खबर काफी वायरल हो रही है कि रिटायरमेंट के बाद आर्मी के कुत्तों को गोली मार दी जाती है। हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी नहीं, इस बारे में हम आगे चर्चा करने वाले हैं।  

जवानों की तरह ही कुत्तों को भी किया जाता है नियुक्त

भारतीय सेना में जिस तरह एक व्यक्ति की नियुक्ति होती है, उसी तरह कुत्तों को भी भारप्ती कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। इन कुत्तों की देखभाल, खाने पीने, इन्हें नहलाने धुलाने के लिये इन पर लाखों रूपये खर्च किये जाते हैं। ट्रेनिंग के दौरान इन कुत्तों को बम या अन्य विस्फोटक सामग्री को सूंघ कर पता लगाना सिखाया जाता है। सेना में ज्यादातर लैब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को भर्ती लिया जाता है। अन्य जवानों की तरह ही इन कुत्तों का भी रिटायरमेंट होता है।

रिटायरमेंट के बाद क्या सच में कुत्तों को मारी जाती है गोली?

खबरों की मानें, तो द प्रिंट की एक रिपोर्ट में सेना के प्रवक्ता ने बातचीत के दौरान बताया था कि ये गलत है। उन्होंने बताया कि साल 2015 में सरकार की मंजूरी के बाद से सेना ने जानवरों की इच्छामृत्यु (दया-हत्या) बंद कर दी है, यानी रिटायरमेंट के बाद सेना के कुत्तों को गोली नहीं मारी जाती है। सिर्फ उन्हीं कुत्तों के साथ ऐसा किया जाता है, जो किसी लाइलाज बीमारी को भोग रहे होते हैं।

पहले करती थी ऐसा भारतीय सेना

हालांकि, ये भी बताया गया कि देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना पहले कुत्तों के साथ ऐसा करती थी, क्योंकि आला अधिकारियों को डर था कि कहीं रिटायरमेंट के बाद अगर वो कुत्ता गलत हाथों में पड़ गया, तो समस्या खड़ी हो सकती है। इन कुत्तों के पास आर्मी की खुफिया जगहों की भी जानकारी होती थी इस वजह से इन कुत्तों को गोली मारी जाती थी।

रिटायरमेंट के बाद कुत्तों के साथ क्या किया जाता है?

मिली जानकारी के मुताबिक, रिटायरमेंट के बाद इन कुत्तों को मेरठ (कुत्तों के लिए), और उत्तराखंड के हेमपुर (घोड़ों के लिए) के ‘वृद्धाश्रम’ में भेज दिया जाता है। यहां सेवानिवृत्ति के बाद इन जानवरों की अच्छे से देखभाल की जाती है।

error: Alert: Content selection is disabled!!