बुखार होना आम बात है। यह कभी भी किसी को भी हो सकती हैं। जब मौसम में बदलाव आता हैं, कभी गर्मी पड़ती हैं तो कभी ठंड, ऐसे मौसम में तो लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं। फिर चाहे वो बड़े बुजुर्ग हो या फिर बच्चे या फिर नौजवान। सर्दी, खांसी, ज़ुकाम और बुखार जैसी बीमारी इन दिनों में काफी आम रहती हैं।

बुखार के तापमान को मापने के लिए थर्मामीटर का इस्तेमाल किया जाता हैं। बाजार में दो तरह के थर्मामीटर आते हैं एक पारे यानी मरक्यूरी वाला और एक डिजिटल थर्मामीटर। पर जाने अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिस कारण थर्मामीटर में रीडिंग गलत भी आ सकती हैं। चलिए जानते हैं कि सही रीडिंग के लिए हमे थर्मामीटर का प्रयोग करते वक़्त कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है।
- बुखार नापते समय इस बात का ध्यान रखें कि थर्मल स्कैनर पर किसी तरह की कोई गंदगी न हो।
- जब भी हम कुछ गर्म या ठंडा खाते पीते हैं तो इसका असर हमारे बॉडी टेम्प्रेचर पर पड़ता हैं। इसलिए यह ध्यान रखें कि ऐसा कुछ खाने के तुरंत बाद ही थर्मामीटर का प्रयोग न करें। कम से कम 15-20 मिनट का फर्क रखें।
- बुखार नापते समय जब हम अपनी जीभ के नीचे थर्मामीटर लगाते हैं तो हमे अपनी जीभ को हिलनी नही चाहिए। बिल्कुल शांत रहकर और बिना जीभ को हिलाये नापने से ही हमे सही रीडिंग मिलेगी।
पहले केवल पारे यानी मरक्यूरी वाले थर्मामीटर ही इस्तेमाल किये जाते थे। इन्हें बुखार नापने के लिए अच्छा माना जाता हैं पर क्योंकि यह एक ज़हरीले नेचर का होता हैं इसलिए आजकल इसका प्रयोग कम हो गया है। आजकल ज्यादातर लोग डिजिटल थर्मामीटर का इस्तेमाल करने लगे हैं क्योंकि इसे यूज़ करना बहुत ही आसान होता हैं। पर कभी कभी कुछ कारण से यह हमें गलत रीडिंग भी दे सकता हैं जैसे कि बैटरी डाउन हो जाना, या फिर नीचे गिर जाना आदि।
- बुखार नापते वक़्त थर्मामीटर को केवल 5 मिनट के लिए ही अपनी जीभ के नीचे रखें। इससे ज्यादा रखने से शरीर का तापमान और भी ज्यादा दिखा सकता हैं।
- थर्मामीटर को इस्तेमाल करने के पहले इस बात का ध्यान रखें कि वह रूम टेम्प्रेचर पर हो यानी कि बिल्कुल नार्मल हो। अगर यह किसी ज्यादा ठंडे रूम में रखा गया हो तो इसका प्रयोग करने से पहले इसे कमसे कम आधे घंटे के लिए बाहर छोड़ दे।