Railway: आखिर क्यों ट्रेन की पटरी पर जंग नहीं लगती है? 99 प्रतिशत लोगों को नहीं मालूम होगा इसका जवाब

Railway: हम सभी जानते हैं की ट्रेन की पटरिया लोहे से बनी होती हैं। और कहते हैं कि लंबे समय तक लोहा अगर बाहर पड़ा रहे, तो उस पर जंग लग जाती है इतना ही नहीं अगर स्टील के बर्तन भी थोड़े समय के लिए बाहर छोड़ दिए जाए तो वह भी कबाड़ बन जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोहे की बनी इन पटरियों पर इतने समय तक बाहर पड़े रहने के बाद भी जंग क्यों नहीं लगता? लेकिन पटरियों में ऐसा क्या होता है जिससे उसमें जंग नहीं लगता।

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क्या आपको पता है जंग लगना किसे कहते हैं और किस तरह से जंग लगती है लिए हम आपको बताते हैं जब भी स्टील या स्टील से बने कोई भी सामान को आपस में रखा जाता है और यह ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आते हैं। तो उसे पर एक ऐसा आयरन ऑक्साइड जमा हो जाता है। जिससे भूरे रंग की परत बन जाती है। जिसे हम जंग का नाम दे देते हैं। इससे धीरे-धीरे वह वस्तु खराब होने लगती है। क्योंकि जंग लगने के बाद सामान गलने लग जाता है।

क्यों नहीं लगता लोहे की पटरियों पर जंग

अब आप सोच रहे होंगे की ट्रेन की पटरिया तो बाहर खुले में होती है वहां पर तो हवा और नमी दोनों ही मौजूद होती है। तो फिर इन पटरियों में जंग क्यों नहीं लगता या इन पर कोई भी आयरन ऑक्साइड जमा क्यों नहीं होता? तो हम आपको बता दें भारत का रेलवे परिवहन एक ऐसा बड़ा माध्यम है जिस पर रोजाना लाखों से भी ज्यादा ट्रेनें चलती रहती हैं। भारत के बहुत से करोड़ों लोग ट्रेनों में अक्सर सफर करते हैं। यह रेल मार्ग की लंबाई लगभग सवा किलोमीटर तक की है। ऐसे में जरूरी है कि रेलवे ट्रैक बेहतर हो नहीं तो हादसे होने की संभावना बड़ी रहती है।

पटरी बनाने में होता है इस मेटल का इस्तेमाल

जंग लगना यानी पटरियों में कमजोरी आना। इसलिए पटरिया बनाने के लिए एक ऐसे मेटल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें जंग नहीं लगती। यह एक ऐसा पदार्थ है जो कारीगरों के द्वारा इस्तेमाल होता है। ज्यादातर लोगों को ऐसा महसूस होता है कि रेल की पटरिया आम स्टील से ही बनी होती है।

लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है रेल की पटरियों को बनाने के लिए एक अलग किस्म का मैंगनीज स्टील इस्तेमाल किया जाता है। जो की स्टील और मंगलौर से मिलकर बनाया जाता है। इसमें 12% मैंगनीज और 0.8% कार्बन होता है स्टील और मंगलौर के इस मिश्रण को मैंगनीज का नाम दिया गया है। ऑक्सीजन का इस पदार्थ पर ऑक्सीजन और नमी का जरा भी प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए पटरिया पर लंबे समय तक जंग भी नहीं लगता।

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