रामायण में रावण का किरदार निभाना इस अभिनेता को पड़ा महंगा, अयोध्या के हनुमान मंदिर में दी गई बड़ी सजा

छोटे पर्दे और बड़े पर्दे पर भूमिका निभाने वाले हर किरदार को प्रशंसकों का उनके किरदार के अनुसार प्यार मिलता है। लोग इन किरदारों को काफी गंभीर लेते हैं और किरदार के अभिनय में इतना खो जाते हैं कि वे उन्हें उस किरदार के लिये ही जज करना शुरू कर देते हैं।

Arvind Trivedi

यहां तक कि इस बारे में भी नहीं सोचते की अपनी असल जिंदगी में वो व्यक्ति कैसा है। कुल मिला कर प्रशंसक और दर्शक असल जिंदगी में भी फिल्मों के विलेन को विलेन ही मानने लगते हैं। या यूं कह लें कि दर्शक मुख्य भूमिका निभाने वाले एक्टर्स को जितना स्नेह देते हैं उतना ही नेगेटिव रोल निभाने वाले व्यक्तियों से नफरत करने लगते हैं और ऐसी घटनाएं कई बार सुनने में भी आयी हैं। 

रावण का किरदार निभाने वाले को कोसते हैं लोग

ज्यादातर धार्मिक फिल्मों या धारावाहिकों को लेकर लोगों के मन में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं बन जाती हैं। लोग जहां कृष्ण का किरदार निभाने वाले अभिनेताओं से स्नेह करते हैं, तो वहीं कंस का किरदार निभाने वाले लोगों को कोसते हैं। इसी तरह राम और रावण के किरदारों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाता है।

ऐसे ही कई वाकये रामानंद सागर की ‘रामायण’ में ‘रावण’ का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी के साथ हो चुके हैं। रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी को इस रोल के लिये अपनी निजी जिंदगी में काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा था। यहां तक कि उन्हें मंदिरों तक में भागवान के दर्शन की अनुमति नहीं दी जाती थी। लोग उन्हें काफी कोसते थे, क्योंकि उन्होंने सीरियल में रावण का किरदार निभाया था और भगवान राम के लिये अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। 

मंदिर में पुजारी ने प्रवेश से रोका

वे जब भी कहीं से गुजरते, तो लोग उन्हें नफरत भरी नजरों से देखते थे। इन्हीं में से एक घटना है, जो साल 1994 में सामने आयी थी। दरअसल अरविंद त्रिवेदी अयोध्या के हनुमान गढ़ी स्थित संकट मोचन मंदिर में दर्शन के लिये गये थे, लेकिन वहां के लोगों के विरोध के कारण उन्हें बगैर दर्शन किये ही लौटना पड़ा।

खाली हाथ लौटे थे अरविंद त्रिवेदी

बताया जाता है कि संकट मोचन मंदिर के प्रमुख पुजारी रेवती बाबा ने उन्हें देखते ही मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। उन्होंने कहा कि इन्होंने भगवान राम का बार-बार अपमान किया है। इसलिए वो उन्हें दर्शन नहीं करने देंगे। अरविंद त्रिवेदी ने उन्हें काफी समझाया और दर्शन करने देने की विनती की, लेकिन पुजारी अपनी जिद पर तस से मस नहीं हुए और हार कर अरविंद त्रिवेदी को मंदिर से खाली हाथ ही लौटना पड़ा।  

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