ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को बेहतर करने और उसका फायदा उठाने के लिए हम बहुत सारे रत्नों का प्रयोग करते हैं, उनका इस्तेमाल करते हैं। ताकि हमारे ग्रह हमारे लिए अनुकूल हो जाए। उसी क्रम में नौ ग्रहों के नौ रत्न भी बताये गए हैं। हालांकि, कुछ रत्न ऐसे भी हैं जो नवरत्नों में शामिल तो नही है लेकिन उनका प्रभाव बहुत गहरा होता हैं या उन रत्नों को पहनने से आपके जीवन में चमत्कार हो सकता है।

ज्यादातर जो नवरत्न हैं वे किसी एक ग्रह को प्रभावित करते हैं। आज हम तीन ग्रहों की युती को लेकर चर्चा करेंगे सूर्य, मंगल और गुरु। आज हम जानेंगे कि जब यह तीनों ग्रह की युति किसी की कुंडली पर होती हैं तो जातक पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
जिस भी व्यक्ति पर इन तीनो ग्रहों की युति पड़ती हैं वह अति क्रोधित, पराक्रमी और निर्भीक यानी कि किसी से नही डरता। ये तीनो मित्र ग्रह हैं, तो जिसकी कुंडली पर ये तीनो इकठ्ठे हो जाते हैं तो तीन शेरों का टोला कहा जाता हैं। ये जातक के जीवन को धन्य कफ देते हैं और उनका राजयोग बनता है।
मूंगा
मंगल ग्रह पूर्ण रूप से अग्नि ग्रह नही है, इसमें कुछ हिस्सा जल का भी होता हैं। इसी प्रकार से मूंगे में भी अग्नि और जल का हिस्सा पाया जाता हैं। मूंगा धारण करने से साहस और आत्मविश्वास में लाभ होता है, रक्त और त्वचा संबंधी समस्याओं में भी सुधार होता हैं। इसे धारण करने से मंगल दोष को समस्याओं का निवारण होता हैं।
माणिक्य
सूर्य अग्नि प्रधान ग्रह हैं और माणिक्य उसका प्रमुख रत्न है। इसे धारण करने से लाभ होने पर चेहरा चमकने लगता हैं और आत्मविश्वास बढ़ जाता हैं। माणिक्य गुलाबी या लाल रंग का पारदर्शी होना चाहिए और इसे सोने या तांबे में पहनना चाहिए। कुंडली दिखाकर ही इसे धारण करें। मेष, सिंह, धनु लग्न में माणिक्य सर्वोत्तम होता हैं।
पुखराज
कहा जाता है कि पुखराज गुरु ग्रह का रत्न है तथा गुरु को कालपुरुष के नवम स्थान का कारक कहा जाता हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पुखराज धारण करता है तो उसके भाग्य में वृद्धि हो सकती हैं। इसे भाग्य बढ़ाने वाला रत्न माना जाता है। इसे सोने में धारण किया जाता हैं। पुखराज गुरु के दोषों को दूर करने में सक्षम हैं।