अगर पिता अपने बेटे के पुत्रों के नाम संपत्ति कर देता है, तो क्या बेटियां उस पर दावा कर सकती है, जानिए इसके नियम

भारतीय समाज में पारिवारिक विवाद का सबसे बड़ा कारण है पैतृक संपत्ति जिसके कारण सगे रिश्तों में भी दुश्मनी हो जाती है। यहां तक कि वह कभी एक दूसरे से बात करना भी पसंद नही करती हैं। हमारे दादा परदादा की सम्पत्ति जब चार पीढ़ियों तक मिलती है तो उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं। मगर इसके बंटवारे के लिए परिवार में विवाद होते रहते हैं।

Property Law

सदियों से पैतृक संपत्ति सिर्फ घर के बेटों को मिलती है मगर अब बेटियां भी संपत्ति में अपना हक मांग सकती हैं। पैतृक संपत्ति में यह स्पष्ट कानून है, जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति आपको आपके अधिकारों से वंचित कर पाएगा। कानून का सहारा लेकर हर कोई व्यक्ति अपना हक वापिस पा सकता है।

पिता की संपत्ति बेटियों का हक

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया जिसके अनुसार बेटियां भी पिता की संपत्ति में हिस्सा पा सकती हैं। उच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक अगर किसी व्याक्ति की मृत्यु वसीयत लिखने से पहले हो जाती है तो उसके बाद स्व-अर्जित उत्तराधिकार के सिद्धांत के तहत उसकी संतानों को जायदाद मिलेगी भले ही वो संतान बेटा हो या बेटी दोनों को समान हक़ मिलेगा। मान लीजिए दो संतान है तो 1/2 -1/2 हिस्सा मिलेगा चाहें बेटा हो या बेटी। साफ़ शब्दों में बोला जाय तो बिना वसीयत पिता की मृत्यु होने पर संपत्ति में बेटी का भी समान अधिकार होगा।

अगर किसी व्याक्ति ने मृत्यु से पहले वसीयत नामा लिख दिया है तो उस सम्पत्ति पर उसी उत्तराधिकार का हक़ होगा जिसका नाम वसीयत पर लिखा गया है। कोई भी व्याक्ति ऐसे मामले में कुछ नहीं कर सकता नहि जायदाद पर अपना हक़ जमा सकता है चाहें बेटा हो या बेटी।

पैतृक संपत्ति में चाहें बेटी कुंवारी हो या फिर शादीशुदा, पिता की संपत्ति में बेटी का भी उतना ही हक़ होगा जितना बेटे का है। अगर बेटा सारी संपत्ति अकेले हड़पना चाहता है तो बेटी कानून का सहारा लेकर अपना हक वापिस मांग सकती है। कानून इस मामले में आपकी पूरी सहायता करेगा।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956

यह कानून पिता की संपत्ति में बेटी को अधिकार दिलाता है। यह कानून हिंदू धर्म के साथ – साथ बौद्ध, सिख, जैन धर्म पर भी लागू करता है मगर मुसलमान समाज में अलग तरीके से बंटवारा होता है। इस अधिनियम के अंतर्गत सेक्शन 14 में महिलाओं को संपति में पूरा अधिकार दिया गया है।

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