जब घड़ी नहीं हुआ करती थी तब लोग टाइम कैसे देखते थे? जानिए उस वक्त समय देखने का तरीका क्या था?

जब इस ब्रह्मांड का आविष्कार हुआ तभी वक्त का भी आविष्कार हुआ। क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे पूर्वज वक़्त का पता कैसे लगाते होंगे। और एक मिनट या एक घंटे के लिए 60 नम्बर का ही प्रयोग क्यों किया जाता हैं।

History Of Clock

सदियों पहले इंसान वक़्त का पता लगाने के लिए सूरज का इस्तेमाल किया करते थे। 1500 बी. सी. में एजिप्शन्स(egyptians) ने इसका आविष्कार किया था। वो लोग एक टी शेप का बार नीचे रख कर उसकी परछाई से वक़्त का पता लगाते थे।

सूरज की किरणें जब इस पर पड़ती थीं तो इसकी परछाई भी ज़मीन पर पड़ती थीं। सूरज जैसे जैसे अपनी गति बदलता था तो नीचे परछाई भी अपनी जगह बदलती थी। इस तरह वक़्त का पता लगाया जाता था। पर मौसम खराब होने से यह उपाय काम नहीं करता था।

इसलिए उन्होंने दूसरा तरीका अपनाया, जो था जल घड़ी। इसमें वो लोग एक बर्तन के नीचे छोटा सा छेद करके उसमें पानी भरकर रख दिया करते थे। जैसे जैसे पानी खत्म होता उस तरह वक़्त का पता लगाया जाता था। मगर इसमे एक दिक्कत थी। जब बर्तन भरा होता था तो पानी तेजी से गिरता था और जब पानी कम हो जाता तो धीरे धीरे गिरता था।

सही से वक़्त का पता लगाने के लिए पानी का एक समान गिरना जरूरी था। तो एजिप्शन्स ने इस कंटेनर को पतले कर दिए तो पानी एक समान गिरता था। फिर कुछ वक्त बाद रोमान्स(romans) और चीनी (Chinese) ने मिलकर इसपर घंटे का कांटा और अलार्म भी लगा दिए। पर धीरे धीरे इसमे भी दिक्कतें आने लगी। इसके बाद सैंड गिलास (sand glass) या ऑवर गिलास (hour glass) नामक घड़ी का प्रयोग किया जाता था।

अब चले वर्तमान की घड़ी की ओर तो इसका श्रेय पोप सिल्वेस्टर द्वितीय को जाता हैं। इन्होंने 996 AD में घड़ी का आविष्कार किया था। हालांकि ये घड़ियां आज की घड़ी की तरह नही थी। घड़ी की मिनट की सुई का निर्माण सन 1577 में स्विट्जरलैंड के जॉस्ट बुर्गी ने किया था।

सन 1700 तक घड़ी में मिनट और सेकंड की दोनों सुइयां लगा दी गई थी। आज की घड़ियां इन्ही का विकसित रूप हैं। हाथ मे पहने जाने वाली पहली घड़ी ब्लेज़ पास्कल ने बनाई थी जिन्होंने कैलक्यूलेटर का आविष्कार किया था।

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