क्या आपने कभी सोचा है केला टेढ़ा क्यों होता है? जानिए इसके पीछे छुपी साइंस का रहस्य

हर घर में केले का सेवन होता है। ये फल जहां सस्ता है, तो वहीं कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर भी है। हालांकि, आज के हमारे इस लेख में में केले की कीमतों या इसके गुणों के बारे में चर्चा नहीं करने वाले हैं, बल्कि हम बात करने वाले हैं, इसके शेप यानी कि आकार के बारे में।

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जी हां, आप सभी ने केला खाया अवश्य खाया होगा। इसका शेप या आकार लगभग टेढ़ा या यूं कह लें कि घुमावदार होता है, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि आखिर केला ऐसा क्यों होता है। केला सीधा क्यों नहीं होता। अगर आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आपको इस लेख में इसका जवाब मिल सकता है।

केला टेढ़ा क्यों होता है?

केले हमेशा गुच्छों में लगते हैं। एक पेड़ पर 5-10 दर्जन केले लग सकते हैं। केले पकने की प्रक्रिया के दौरान ‘नेगेटिव जियोट्रोपिज्म’ नामक प्रक्रिया से गुजरते हैं। ‘नेगेटिव जियोट्रोपिज्म’ का मतलब यह है कि केले जमीन की ओर बढ़ने के बजाय जमीन से दूर उगते हैं।

केले के पेड़ में सबसे पहले एक फूल सा गुच्छा लगता है और जैसे-जैसे सामान्य केले बढ़ने लगते हैं, फूलों का गुच्छा भारी और भारी होता जाता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण ये गुच्छा नीचे लटक जाता है। जैसे-जैसे केले का फल परिपक्व होता है, यह गुरुत्वानुवर्तन की नीचे की दिशा के विरुद्ध जाता है और प्रकाश की ओर ऊपर की ओर पहुंचता है। धीरे-धीरे, नीचे की ओर खींचे जाने के दौरान केला घुमावदार हो जाता है।

यदि पौधे के हिस्सों की गति गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव की ओर है, तो इसे सकारात्मक भू-अनुवर्तन के रूप में जाना जाता है, जबकि अगर पौधे के हिस्सों की गति गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव के विपरीत दिशा में होती है, तो इसे नकारात्मक भू-आकृतिवाद के रूप में जाना जाता है।

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