बैंक के ग्राहकों के लिए खुशखबरी, अब घर बैठे होगा KYC, आरबीआई ने शुरू की V-CIP की सुविधा

भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि नई केवाईसी प्रक्रिया बैंक शाखा में जाकर या अब दूर से वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया के माध्यम से भी की जा सकती है। आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, अगर केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं होता है, तो व्यक्तिगत ग्राहक से इस आशय की एक स्व-घोषणा फिर से केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

Bank KYC

बैंकों को सूचित किया गया है कि वे व्यक्तिगत ग्राहकों को इस तरह की स्व-घोषणा की सुविधा विभिन्न पंजीकृत ईमेल आईडी, पंजीकृत मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र, आदिके माध्यम से बैंक शाखा में जाये बिना मुहैया करवाये।

इसके अलावा, यदि केवल पते में परिवर्तन होता है, तो ग्राहक इनमें से किसी भी माध्यम से संशोधित/अद्यतन पता प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसके बाद बैंक दो महीने के भीतर घोषित पते का सत्यापन करेगा। यह ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है, क्योंकि उन्हें फिर से केवाईसी प्रक्रिया के लिए बैंक शाखाओं का दौरा नहीं करना पड़ेगा।

बैंकिंग नियामक ने आगे कहा है कि चूंकि बैंकों को समय-समय पर समीक्षा और अद्यतन करके अपने रिकॉर्ड को अप-टू-डेट और प्रासंगिक रखना अनिवार्य है, इसलिए कुछ मामलों में एक नई केवाईसी प्रक्रिया शुरू करनी पड़ सकती है, जिसमें बैंक रिकॉर्ड में केवाईसी दस्तावेज उपलब्ध हैं। आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों की वर्तमान सूची के अनुरूप नहीं है या जहां पहले जमा किए गए केवाईसी दस्तावेज की वैधता समाप्त हो गई हो।

ऐसे मामलों में, बैंकों को ग्राहक द्वारा प्रस्तुत केवाईसी दस्तावेजों / स्व-घोषणा की प्राप्ति की पावती प्रदान करने की आवश्यकता होती है। आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार संख्या होने का प्रमाण, मतदाता पहचान पत्र, नरेगा द्वारा जारी जॉब कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर द्वारा जारी पत्र हैं।

नई केवाईसी प्रक्रिया किसी बैंक शाखा में जाकर भी की जा सकती है, या वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) के माध्यम से दूर से भी की जा सकती है (जहाँ बैंकों द्वारा इसे सक्षम किया गया है)। वी-सीआईपी इंफ्रास्ट्रक्चर/एप्लीकेशन भारत के बाहर के आईपी पतों या नकली आईपी पतों से कनेक्शन को रोकने में सक्षम होना चाहिए।

वीडियो रिकॉर्डिंग में वी-सीआईपी लेने वाले ग्राहक के लाइव जीपीएस को-ऑर्डिनेट (जियो-टैगिंग) और डेट-टाइम स्टैम्प शामिल होना चाहिए। वी-सीआईपी में लाइव वीडियो की गुणवत्ता संदेह से परे ग्राहक की पहचान करने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए।